चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति अमितेंद्र किशोर प्रसाद की खंडपीठ ने फैसला सुनाया कि यह मामला जघन्य होने के बावजूद मृत्युदंड देने के लिए आवश्यक ‘दुर्लभ में से दुर्लभतम’ सिद्धांत के कड़े मानदंडों को पूरा नहीं करता। बिलासपुर जिले के मस्तूरी पुलिस थाना के हिर्री गांव निवासी उमेंद केवट को 2 जनवरी 2024 को अपनी पत्नी सुकृता केवट और अपने तीन बच्चों खुशी (5), लिसा (3) और पवन (18 महीने) की गला घोंटकर हत्या करने का दोषी पाया गया।
कथित तौर पर उसको अपनी पत्नी की वफादारी पर संदेह था, जिसके कारण अक्सर घरेलू विवाद होते थे। बिलासपुर के दसवें अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 302 के तहत उमेद को दोषी ठहराया और अपराध को ‘दुर्लभतम’ श्रेणी में पाकर मृत्युदंड की सजा सुनाई।
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