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बिलासपुर

संतान की दीर्घायु के लिए महिलाओं ने रखा हलषष्ठी व्रत

संतान की दीर्घायु और कुशलता की कामना के लिए महिलाओं ने बुधवार को हलषष्ठी का व्रत रखा। हलषष्ठी के दिन महिलाएं सुबह स्नान करके व्रत का संकल्प लीं।

बिलासपुरAug 17, 2022 / 09:43 pm

SHIV KRIPA MISHRA

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बिलासपुर. संतान की दीर्घायु और कुशलता की कामना के लिए महिलाओं ने बुधवार को हलषष्ठी का व्रत रखा। हलषष्ठी के दिन महिलाएं सुबह स्नान करके व्रत का संकल्प लीं। इसके बाद घर या बाहर कहीं भी दीवार पर भैंस के गोबर से छठ माता का चित्र बनाया। फिर भगवान गणेश और माता पार्वती की पूजा की पूजा कर छठ माता की पूजा की। कई जगह महिलाओं ने घर में ही गोबर से प्रतीक रूप में तालाब बनाकर, उसमें झरबेरी, पलाश और कांसी के पेड़ लगाए और वहां पर बैठकर पूजा अर्चना की। हल षष्ठी की कथा सुनती हैं।
हलषष्ठी व्रत का महत्व
हलषष्ठी के दिन संतान की प्राप्ति और सुख-समृद्धि के लिए महिलाएं व्रत रखती हैं। नवविवाहित स्त्रियां भी संतान की प्राप्ति के लिए यह व्रत करती हैं। बलराम जयंती होने के कारण बलराम व भगवान श्रीकृष्ण की पूजा की जाती है। साथ ही इस दिन खेती में उपयोग होने वाले उपकरणों की पूजा भी की जाती है।
नेहरूनगर की महिलाओं ने हलषष्ठी का व्रत रखा
भाद्रपद कृष्ण पक्ष की षष्ठी का दिन सुहागिन महिलाओं के लिए सौगात लेकर आता है। वे संतान प्राप्ति तथा संतान के उत्तम स्वास्थ्य व दीर्घ जीवन की मनौती के लिए षष्ठी के दिन ब्रत-उपवास व पूजा अर्चना करती हैं। छत्तीसगढ़ में इस पर्व को खमरछठ या कमरछठ के नाम से जाना जाता है। नेहरूनगर की महिलाओं ने सरिता मिश्रा के निवास में हर्षोल्लास के साथ हलषष्ठी का व्रत रखा और विधि-विधानपूर्वक पूजा-अर्चना की। यह जानकारी वसन्ती वर्मा, अध्यक्ष, मानस महिला मंडल नेहरूनगर ने दी है।
चटर्जी गली में माताओं ने रखे व्रत
इंदिरासेतु महामाया चौक चटर्जी गली सरकंडा बिलासपुर में पंडित गौरी शंकर के सानिध्य में माताओं ने अपने बच्चों की लम्बी उम्र के लिए हलषष्ठी (कमरछठ )व्रत का विधिविधान से पूजा एवं कथा का श्रवण किया। इस पूजन में पुष्पा त्रिपाठी, शशि मिश्रा, नेहा ठाकुर, सुनीता देवांगन, विमला मिश्रा, रचना मिश्रा, पूजा त्रिपाठी, दीपाली विश्वास, ज्योति मोरिया, ममता रानी साव, वसुंधरा साहू, माया मोहिते, रामेश्वरी भोसले, रेखा भोसले, उर्मिला साहू आदि शामिल थे।
मुरूम खदान खमतराई वार्ड क्रमांक 58 में माताओं ने कमरछठ व्रत रखा। कृषि उपकरणों के साथ ही भगवान श्रीकृष्ण व बलराम की पूजा की। इसके साथ ही माता पार्वती एवं गणेश की भी पूजा की गई।
सद्भावना का खमर छट पूजा सम्पन्न
सद्भावना महिला समिति द्वारा संयोजिका अलका अग्रवाल के संयोजन में प्रति वर्ष आयोजित किया जाने वाला सद्भावना हलषष्टी पूजा एवम् खमर छठ पर्व अपने ग्रामीण सांस्कृतिक आयोजन के तहत ग्राम छतौना जरहागांव में बड़े उल्लास व धूमधाम से मनाया गया। सर्वप्रथम पुत्र की लंबी आयु की कामना लिए गांव की सभी व्रती महिलाएं हलधर भगवान श्री बलराम के जन्मोत्सव को श्रद्धा पूर्वक मनाने कुमार भुइयां *बिना हल जुताई* से एकत्र पसहर चावल एवं छह प्रकार के पंचमिंझ्चरा भाजी एवम् मिर्च सहित लाई, महुआ, कुश के पौधे, भैंस के दूध, दही और घी को पीतल के बर्तन एवम् पत्तल दोना में लेकर पीतल के पात्र में ही जल लेकरगौंटिया बाड़ा में बनाए गए तालाब एवम् पैठू के प्रतीकात्मक कुंड के चारो तरफ एकत्र हुए। पंडित गजाधर प्रसाद शर्मा ने परंपरानुसार विधि विधान से सामूहिक पूजन सम्पन्न वैदिक मंत्रोच्चार एवम् कथा वाचन कर सम्पन्न कराया। पुत्रों की लंबी आयु की कामना से उपवास रहकर सभी महिलाओं ने पूजन पश्चात अपने बच्चों के पीठ में छह नए कपड़े की टुकड़ों से बने पोती को जल कुंड के पानी से भिगोकर भगवान बलभद्र के आशीर्वाद स्वरूप कंधे मै पोती थपकी देकर आशीर्वाद दिया।एवम् बच्चो में प्रसाद एवम् खिलौना वितरण किया। इस अवसर पर बारो रानू. पिया, खुशी, ज्योति, मंजू, तन्नू, आरती, शानू, गौरी, राशि, मानसी, कुहू, पीहू, पुक्कु सहित सदभावना टीम से राजकमल , गोलू, संतोष आदि शामिल रहे। उक्ताश्य की जानकारी सदभावना संयोजक राजीव अग्रवाल द्वारा दी गई।
महिलाओं ने रखा अपने बच्चों की दीर्घायु के लिए हलषष्ठी माता का व्रत
मोपका : प्रति वर्ष की भांति इस वर्ष भी हल षष्टी खमरछठ का व्रत निर्जला रहकर महिलाओं ने अपने बच्चों की दीर्घायु की कामना की। हलषष्ठी माता का कथा सुनी। इस अवसर पर केवरा निवास मेंमीना केवरा द्वारा तथा महामाया मंदिर नया तालाब के पास पंडित मनहरण लाल द्वारा महिलाओं का कथा का श्रवण कराया गया। इसी प्रकार और भी कई जगहों पर माता हलषष्ठी का व्रत का कथा श्रावण कराया गया तथा पूजा पश्चात प्रसाद का वितरण किया गय। इस अवसर पर महिलाओं ने पूजा अर्चना कर कथा का आनंद लिया।
भरारी में हलषष्ठी पर अपने पुत्रों की दीर्घायु के लिए माताओं ने रखा व्रत
भरारी – हलषष्ठी का व्रत जिसे खमरछट भी कहा जाता है इस दिन सभी मातायें अपने – अपने पुत्रों की दीर्घायु की कामना कर निर्जला व्रत रखती हैं। मानते हैं कि हलषष्ठी देवी का कथा सुनते हैं सगरी बनाकर पुजा पाठ करते हैं। अपने पुत्रों के पीठ पर पोती लगाते हैं।छ: प्रकार के भाजी और लाल चावल की है मान्यता। खमरछट के त्योहार पर लाल चावल जिसे पसहर चावल भी कहा जाता है इस दिन पर लाल चंवल का भात(खाना) बनाकर खाने का रिवाज है और इसके साथ छ: प्रकार के भाजी जैसे मुनगा भाजी,चरोटा भाजी,चरपनिया भाजी, कुम्हड़ा भाजी,करमत्ता भाजी,चेंच भाजी आदि सभी को मिलाकर सब्जी बनाया जाता है। महुआ, करोंदा,धनमिर्ची आदि सभी प्रकार के प्राकृतिक रूप से उपज फलों का सेवन कर सभी माताएं अपना व्रत तोड़ती हैं।
सकरी में कराया खमरछट पूजा
शांता फाउंडेशन की सचिव नेहा तिवारी ने सकरी में खमरछट पूजा कराया। छत्तीसगढ़ प्रदेश का पारंपरिक त्यौहार हार खमरछठ बुधवार को सकरी में बड़े धूम धाम से मनाया गया। इस मौके पर माताओं ने अपने बच्चों की लंबी उम्र के लिए दिनभर उपवास रखा। शाम को लाई, पसहर, महुआ, दूध-दही आदि का भोग लगाकर सगरी की पूजा की गई। सकरी के मोहल्लों और मंदिरों में मां हलषष्ठी की कथा पढ़ी और सुनी गई। सकरी के लगभग सभी मोहल्लों में इस मौके पर सगरी पूजा का आयोजन किया गया था। शांता फाउंडेशन की सचिव नेहा तिवारी ने कहा कि बच्चों की लंबी उम्र के लिए माताओं द्वारा किया जाने वाला छत्तीसगढ़ी संस्कृति यह ऐसा पर्व है जिसे हर जाति और वर्ग के लोग मनाते हैं। हलषष्ठी हलछठ, खमरछठ नाम से भी जानी जाती हैजिसे सकरी में बड़े धूम धाम से मनाया गया।

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