शैलेष शर्मा, सदस्य सचिव, राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण
हर स्तर पर ध्यान दें : स्लम एरिया में नाबालिग भी नशे की गिरफ्त में हैं। वे नशे की धुन में चोरी व अन्य अपराधों में भी संलग्न हो जाते हैं। उनके पुनर्विस्थापन की जरूरत है। अन्य वर्गों को भी अपने बच्चों पर ध्यान देना चाहिए। पेरेंट्स मॉनिटरिंग करें कि उनका बच्चा कहां है और क्या कर रहा है।
नीरज चंद्राकर, एएसपी, सिटी
मेघा टेम्भुरकर, एडिशनल एसपी
कॉलेजों में काउंसिलिंग की व्यवस्था हो : कॉलेजों में काउंसलिंग कराई जाए ताकि युवाओं और किशोरों को अच्छे बुरे का ज्ञान हो। बच्चों में और पालकों में जागरुरकता फैलाई जाए। हमारे कॉलेज में एनएसएस अच्छा काम कर रही है।
संजय दुबे, चेयरमैन, सीएमडी कॉलेज
रजनीश सिंह, अध्यक्ष, जिला भाजपा
संस्कार देना जरूरी : हमने अभी युथ संस्कार पैनल चालू किया है। इसके अंंतर्गत दृष्टिहीन लोगों को एग्जाम के लिए कापी लेखक प्रदान करते हैं। युवाओं में आज संतुष्टि नहीं है। उनमें संस्कार देने की जरूरत है।
अभय दुबे, अध्यक्ष, यूथ संस्कार फाउंडेशन
मां को बचपन से सिखाना होगा बच्चे को : नशे से बचाने के लिए माँ को अपने गोद से ही बच्चे को सिखाना होगा। उन्हें भले-बुरे का ज्ञान होने पर वे किसी के बहकावे में नहीं आएंगे और नशे व अपराध की दुनिया से बच सकेंगे। सभी अपनी जिम्मेदारी समझें और मिलजुलकर साझा प्रयास करें। पत्रिका ऐसे आयोजन लगातार जारी रखेगा।
ज्ञानेश उपाध्याय, राज्य संपादक, पत्रिका छत्तीसगढ़
बरुण सखाजी, स्थानीय संपादक, पत्रिका, बिलासपुर
समय और भरोसा दें : बड़े घर के बच्चे पैसों के चलते बिगड़ते हैं और नशाकरते हैं। इसी लत के कारण कई बार वे अपराधों में भी लिप्त हो जाते हैं। मोबाइल भी इसका एक बड़ा कारण है। खेलकूद बंद हो चुके हैं। बच्चे टीवी और मोबाइल में व्यस्त हैं। कई बार इसकी निगेटिव चीजें बच्चों को नशे और अपराध की ओर प्रेरित करती हैं। इस पर भी ध्यान देना जरूरी है।
चंद्रशेखर बाजपेयी, अध्यक्ष, जिला अधिवक्ता संघ
सागर प्रसाद जांगड़े, केंद्र समन्वयक, चाइल्ड हेल्प लाइन।
अनुशासित किया जाए : गरीबों के साथ संपन्न घर के बच्चे भी नशा करते हैं। इसमें पेरेंट्स की गलती है। पेरेंट्स अपने बच्चें को अच्छे संस्कार और शिक्षा दें। इसके लिए संस्थाओं को भी काम करना होगा। लड़कियों के साथ साथ लड़कों पर भी बंधन और अनुशासन हो कि वे समय पर घर आएं और जाएं। परिवार से जुड़ाव से भी बच्चों को गलत राह में ले जाने से बचाता है।
राजेंद्र श्रीवास्तव, बिलासा वरिष्ठ नागरिक मंच।
डा. आरती पांडेय, प्रोफेसर, एचओडी सिम्स
पालकों के बीच बिगड़े संबंधों का भी असर : तलाक और पति- पत्नी में मतभेद से भी बच्चे बिगड़ते हैं। छत्तीसगढ़ में परिवार टूटने का बड़ा कारण शराब है। सिंगल फैमिली में कई बार पेरेंट्स पैसा कमाने में लगे रहते हैं और बच्चा बिगड़ जाता है। ज्वाइंट फॅमिली में बच्चों को अपने बड़ों और संबंधियों का साथ मिलता है। इससे उनको संस्कार सीखने में मदद मिलती है।
उषा किरण बाजपेयी, अध्यक्ष, नारी शक्ति काउंसलर, फैमिली कोर्ट
संस्थाओं को मिलकर काम करना होगा : सस्थाओं की जिम्मेदारी है कि वे बच्चों के लिए काम करें। घुमंतू और बेसहारा बच्चों को नशे और अपराध की ओर जाने से रोकना जरूरी है। इसके लिए कार्ययोजना तैयार कर सबको अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी।
ज्योत्सना स्वर्णकार, अध्यक्ष, लायंस क्लब गोल्ड