बारिश के दौरान खेत-खार में पानी भर जाने के कारण जहरीले जंतु और सांप आवासीय क्षेत्रों की ओर आ जाते हैं। चूहे और कीड़े-मकोड़े खाने के लिए लोगों के घरों के आसपास भी पहुंच जाते हैं। ऐसे में कई बार ये लोगों को भी डस लेते हैं। इन दिनों लगातार बारिश के बाद अगस्त महीने में स्नेक बाइट के मामले अधिक सामने आ रहे हैं। एक माह में ही सिम्स मेडिकल कॉलेज में बिलासपुर, बिल्हा, कोटा, मस्तूरी, जांजगीर-चांपा और पेड्रा-गौरेला-मरवाही जिले के 294 मरीज सिम्स आ चुके हैं, जिसमें एक माह के भीतर 4 लोगों ने दम भी तोड़ा है।
सिम्स में स्नैक बाइट रिकवरी 96 प्रतिशत
सिम्स मेडिकल कॉलेज में जहरीले जंतू और स्नैक बाइट के मामले हर साल 700 से 800 तक आ जाते हैं। यहां स्नैक बाइट के लिए मेडिसीन विभाग में एक विशेष टीम भी बनी हुई है। कुछ वर्ष पहले एचओडी डॉ.पंकज टेम्भूर्निकर ने मेडिसीन विभाग के सभी स्टॉफ को इसके इलाज के लिए विशेष ट्रेनिंग भी दिलाई थी। यहां स्नैक बाईट के मरीज को तत्काल एंटी वेनम इंजेक्शन नहीं लगाया जाता है। डॉक्टरों ने बताया कि जब तक ये पता न चल जाए कि सांप जहरीला है कि नहीं तब तक इंजेक्शन नहीं लगाया जाता है। लक्षण देखने के बाद भी इंजेक्शन लगाया जाता है। जिहाजा समय पर अस्पताल पहुंचने पर लोगों की जान आसानी से बचाई जा सकती है। यह भी पढ़ें