CG News: आंसरशीट में छेड़छाड़
CG News: रेलवे के निर्णय को आवेदक ने कैट जबलपुर में चुनौती दी , जहां प्राधिकरण ने रेलवे के निर्णय को सही ठहराकर आवेदन निरस्त कर दिया। इस पर महाप्रबंधक रेलवे, बिलासपुर जोन , मुख्य कार्मिक अधिकारी, सहायक कार्मिक अधिकारी, रेलवे भर्ती सेल बिलासपुर को पक्षकार बनाकर हाईकोर्ट में याचिका लगाई गई। जस्टिस रजनी दुबे व जस्टिस बीडी गुरु की डिवीजन बेंच में सुनवाई हुई।
प्रतिवादियों ने कहा कि अभ्यर्थियों को कॉल लेटर के साथ ओएमआर शीट की एक नमूना फोटोकॉपी भेजी जाती है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि अभ्यर्थी ओएमआर शीट को सही ढंग से भरने के आदी हो जाएं। ये निर्देश अभ्यर्थियों को परीक्षा हॉल में भी दिए जाते हैं, जो ओएमआर शीट के ऊपर छपे होते हैं।
परीक्षा के बाद मूल ओएमआर और डुप्लीकेट ओएमआर शीट को अलग-अलग टैग किया गया था और यह आवश्यक प्रक्रिया थी। याचिकाकर्ता के मामले में 23 प्रश्नों में कुछ विसंगति पाई गई।
हाईकोर्ट में दायर की गई याचिका
बिलासपुर निवासी हरि बाबू को 10 जून 2012 को आयोजित रेलवे की लिखित परीक्षा में भाग लेने की अनुमति दी गई। पर्याप्त योग्यता अंक पाने पर 31 अक्टूबर 2012 को आयोजित शारीरिक दक्षता परीक्षा में भाग लेने की उसको अनुमति दी गई। इसमें भी उसे उत्तीर्ण घोषित किया गया। 16 जनवरी 2013 को
दस्तावेज सत्यापन के लिए बुलाया गया। उसके दस्तावेज सही और वास्तविक पाए जाने पर उसे मेडिकल जांच के लिए भेजा गया।
इसमें भी याचिकाकर्ता को आवेदित पद के लिए चिकित्सकीय रूप से फिट पाया गया। इसके बाद, प्रतिवादियों ने वेबसाइट पर खुलासा किया कि याचिकाकर्ता ने ओबीसी श्रेणी में 38.99 प्रतिशत अंक प्राप्त किए हैं, और सूचीबद्ध उमीदवारों की पहली सूची प्रकाशित की, जिसमें याचिकाकर्ता का नाम नहीं था। उमीदवारों की दूसरी सूची में भी उसका नाम नहीं था।
कोर्ट ने पाया-आवेदन देर से प्रस्तुत
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने तर्क दिया कि याचिकाकर्ता ने मूल ओएमआर और कार्बन कॉपी ओएमआर में छेड़छाड़ नहीं की है। प्रतिवादियों द्वारा इस संबन्ध में कोई प्रमाण भी प्रस्तुत नहीं किया गया। डीबी ने कहा कि कैट ने यह पाया है कि याचिकाकर्ता ने 3 साल से अधिक समय के बाद मूल आवेदन दायर किया और इस तरह की देरी के लिए अनुचित कारण दिए गए थे। इस प्रकार याचिकाकर्ता का आवेदन खारिज कर दिया। यह स्पष्ट है कि कैट ने याचिकाकर्ता के सभी आधारों की बारीकी से सराहना की और उसके बाद आदेश पारित किया।
कोर्ट ने कहा कि हमने याचिका कर्ता की ओएमआर शीट्स का भी बारीकी से अवलोकन कर पाया कि न्यायाधिकरण ने आदेश पारित करते समय कोई अवैधता या अनियमितता नहीं की है। कोर्ट ने इसके साथ ही याचिका खारिज कर दी।