CG Medical College: मामले की जांच डीन को कराने लिखा पत्र
बताया जाता है कि किसी छात्र ने पीएमओ में मामले की शिकायत की है। इसके बाद शासन भी अलर्ट हो गया है। एसीएस हैल्थ ने कमिश्नर मेडिकल एजुकेशन को मामले की जांच करने कहा। सीएमई ने काउंसलिंग कमेटी को और कमेटी ने मामले की जांच डीन को कराने के लिए पत्र लिखा है। दरअसल, ईडब्ल्यूएस सर्टिफिकेट तहसीलदार बनाते हैं। कलेक्टर तहसीलदार को जांच के लिए लिखेंगे। अच्छी बात ये है कि जिला मुख्यालय स्थित तहसील में सर्टिफिकेट बनाए गए हैं।देखने वाली बात होगी कि जांच रिपोर्ट कब तक आती है?
पत्रिका की पड़ताल में पता चला है कि जांच में तहसीलदारों ने सर्टिफिकेट जारी किया है या नहीं, यही पता चलेगा। सर्टिफिकेट जारी करने की पुष्टि होने के बाद भी छात्र बच सकते हैं। दरअसल तहसीलदारों को ये तो नहीं कहा जाएगा कि छात्रों की आय 8 लाख रुपए से कम है या नहीं, इसकी जांच करें। आठ लाख से कम आय होने पर ही ईडब्ल्यूएस का सर्टिफिकेट जारी किया जाता है। आय की जांच होने पर ही सर्टिफिकेट के बारे में पता चल सकेगा। गौरतलब है कि करीब 10 साल पहले फर्जी निवास प्रमाण पत्र बनवाने पर रायगढ़ कॉलेज की एक छात्रा को टर्मिनेट किया गया था। (chhattisgarh news) वहीं, एक अन्य छात्र को तहसील कार्यालय से सर्टिफिकेट जारी होने पर बचा लिया गया था। हालांकि ये छात्र दूसरे राज्य का था। फिर भी इसलिए कार्रवाई नहीं की गई कि सक्षम अधिकारी ने सर्टिफिकेट जारी किया है।
यह भी पढ़ें
डॉक्टरों के लिए खुशखबरी, अब हर महिने 3 लाख रूपए मिलेगा वेतन, भर्ती के लिए इंटरव्यू शुरू
बिलासपुर सिम्स, डीन डॉ. रमणेश मूर्ति: सरकार से पत्र मिला है। कलेक्टर को सर्टिफिकेट की जांच के लिए पत्र लिखा है। दो कैंडिडेट को सीट आवंटित हुई है। एक ने एडमिशन ले लिया है, उसी के दस्तावेज की जांच के लिए कहा गया है।ईडब्ल्यूएस कोटे के नाम पर खेल
CG Medical College: प्रदेश में मेडिकल कॉलेजों के यूजी व पीजी कोर्स में ईडब्ल्यूएस कोटे के नाम पर खेल चल रहा है। एमबीबीएस में 11 गरीब सवर्ण छात्रों का निजी कॉलेजों में प्रवेश हुआ है। सवाल उठता है कि अगर इनकी सालाना आय ₹8 लाख से कम है तो ये साढ़े 4 साल के कोर्स की ट्यूशन फीस ₹33 से 36 लाख कैसे जमा कर सकेंगे? सभी मदों को मिलाकर ₹63 से 65 लाख इन्हें जमा करना होगा। चिकित्सा शिक्षा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि मामले में कोई शिकायत नहीं होती, इसलिए कार्रवाई नहीं की जाती। दरअसल, जब दस्तावेजों का सत्यापन होता है, तब केवल यह देखा जाता है कि सर्टिफिकेट सक्षम अधिकारी ने बनाया है या नहीं। आय कम है या ज्यादा, यह नहीं देखा जाता।
एमबीबीएस: सालाना आय 8 लाख से कम तो 33 लाख फीस कैसे कर रहे जमा?