अंबिकापुर के कार्मेल कॉन्वेंट स्कूल में शिक्षिका के पद पर कार्यरत सिस्टर मर्सी उर्फ एलिजाबेथ जोस के खिलाफ फरवरी 2024 में अंबिकापुर के मणिपुर थाने में शिकायत दर्ज करवाई गई थी। इसमें 6वीं की छात्रा को खुदकुशी के लिए उकसाने का आरोप लगाया गया।
पुलिस ने शिकायत पर आईपीसी की धारा 305 के तहत एफआईआर दर्ज की थी। विवेचना के बाद पुलिस ने कोर्ट में चार्जशीट प्रस्तुत की। आरोपी शिक्षिका ने हाईकोर्ट में क्रिमिनल पिटीशन लगाई थी। इसमें खुद के खिलाफ प्रस्तुत चार्जशीट को निरस्त करने की मांग की।
यह भी पढ़ें
Video: छात्रा का सुसाइड नोट आया सामने, लिखा- मेरे अंतिम संस्कार में मेरे सभी दोस्तों को बुलाना, बताकर रो पड़ा पिता चीफ जस्टिस की डीबी ने ये कहा
सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस की डीबी ने कहा कि मौजूदा मामले में, याचिकाकर्ता पर छात्रा अर्चिशा को कथित तौर पर आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप लगाया गया है। वह एक नियमित शिक्षिका के रूप में काम कर रही है। इस स्तर पर याचिका में दिए गए दावे कि याचिकाकर्ता के खिलाफ लगाए गए आरोप झूठे हैं, को बीएनएसएस की धारा 528 के तहत शक्तियों का प्रयोग करते समय नहीं देखा जा सकता।
कोर्ट ने कहा कि इसके मद्देनजर, इस न्यायालय को याचिकाकर्ता अभियुक्त के खिलाफ लगाए गए आरोप पत्र के साथ-साथ एफआईआर को रद्द करने का कोई आधार नहीं मिला।
यह भी पढ़ें
शिक्षिका की प्रताडऩा से तंग 6वीं की छात्रा ने की आत्महत्या, सुसाइड नोट में लिखा- डेंजरस हैं मर्सी मैम, करती है टॉर्चर ये था मामला
अंबिकापुर के दर्रीपारा निवासी इंजीनियर आलोक सिन्हा की 11 वर्षीय पुत्री अर्चिशा सिन्हा कार्मेल स्कूल में 6वीं कक्षा की छात्रा थी। उसने फरवरी माह में सुसाइड नोट लिखकर आत्महत्या कर ली थी। सुसाइड नोट में शिक्षिका मर्सी पर सभी बच्चों के सामने उसे अपमानित करने का आरोप लगाया था। उसने लिखा था कि उसके सामने आत्महत्या के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं बचा है। शिक्षिका को सजा मिलनी चाहिए, ताकि वह उसके दूसरे दोस्तों को प्रताडि़त न कर सके।