इसके अलावा रीडिंग कॉम्प्रिहेंशन के रूप में बाल मजूदरी से जुड़े सवाल भी पूछे गए थे। बाल मजदूरी से जुड़ी टिप्पणी में कहा गया था कि रत्न काटने और पॉलिश करने, मिट्टी के बर्तन बनाने और कांच बनाने जैसे उद्योग बच्चों को रोजगार देकर प्रतिस्पर्धी बने रहना चाहते हैं। सच तो यह है कि यह गरीबी ही है जो बच्चों को श्रम बाजार में धकेल रही है। हमारे भारत में 260 मिलियन लोग गरीबी रेखा से नीचे हैं, जिनमें से बड़ी संख्या महिलाओं की है। गरीब और विशेष रूप से महिला प्रधान परिवारों के पास अपने छोटे बच्चों को मानव या श्रम अधिकारों के बिना प्रतिकूल परिस्थितियों में इस कठिन जीवन में धकेलने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। इसी रीडिंग कॉम्प्रिहेंशन में यह सवाल पूछा गया था कि ऐसे कौन से दो वायदे हैं जिन्हे अब तक सरकार ने पूरा नहीं किया है।
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परीक्षा देकर निकले शिवांश साहू ने बताया कि परीक्षा में सिलेबस के बहार से कुछ भी नहीं पूछा गया था। परीक्षा कठिन नहीं तो सरल भी नहीं थी। उन्होंने बताया कि ग्रामर सेक्शन से कम सवाल पूछे गए थे। इससे अधिक अंक मिलने की सम्भावना है। टेक्स्ट बुक के “फ्लेमिंगो” से साल पूछे गए थे। वही परीक्षा देने पहुंचे विक्रम यादव ने बताया कि उनकी परीक्षा बिलकुल भी अच्छी नहीं गई। सवाल काफी कठिन पूछे गए थे, लम्बे लम्बे क्वेश्चन आंसर में कम अंक बांटे गए थे। उनका कहना है कि अब जो परीक्षा अच्छी नहीं गई उसके लिए अफसोस करते रहना ठीक नहीं है। इसके बजाए अब वह आगे की परीक्षा में अपना ध्यान केंद्रित करेंगे। प्रयासों के बावजूद छात्र नहीं पहुंच रहे… CG Board Exam 2024: छ.ग माध्यमिक शिक्षा मंडल के द्वारा परीक्षा पूर्व से ही छात्रों की परीक्षा में उपस्थिति पूरी रहे इसके लिए भरसक प्रयास किए गए थे। लेकिन फिर भी छात्र परीक्षा देने परीक्षा केन्द्रों तक नहीं पहुंच रहे हैं। इससे उनका साल खराब होने के साथ-साथ अपने जूनियर्स के साथ कक्षा में बैठ कर पढाई करने का दबाव आएगा। वहीं इस मसले पर विद्वानों का कहना है कि किसी भी स्थिति में छात्र-छात्राएं अपनी परीक्षा न छोड़ें, तैयारी जैसी भी हो परीक्षा अटेम्प जरूर करें।
अगली परीक्षा 7 मार्च को बारहवीं बोर्ड की अगली परीक्षा 7 मार्च को जिले 129 केन्द्रों में आयोजित की जाएगी। 7 मार्च को आर्ट्स के छात्रों के इतिहास विषय की परीक्षा आयोजित की जाएगी। वहीं कॉमर्स के छात्रों की बिजनेस स्टडीज की परीक्षा आयोजित की जाएगी। वही 6 मार्च को कक्षा दसवीं की अंग्रेजी विषय की परीक्षा आयोजित है।
क्रिएटिव टॉपिक्स देखने को मिले वहीं सोमवार को आयोजित परीक्षा में एप्लीकेशन लिखे के लिए क्रिएटिव टॉपिक्स देखने को मिले जिसमें अपने इलाके में सफाई की समस्या को लेकर म्युनिसिपल कमिश्नर को लेटर लिखने, अपने दोस्त को जेईई की परीक्षा में पास होने की खुशी में लेटर लिखने के आप्शंस दिए गए थे। इसी तरह निबंध सेक्शन में टॉपिक्स थे कि कंप्यूटर का हमारे जीवन में क्या प्रभाव है। चंद्रयान 3 का लांच, पॉलीथिन के नुकसान से संबंधित प्रश्न भी थे।
रीडिंग कॉम्प्रिहेंशन में कड़ी टिप्पणी… बाल मजदूरी से जुड़े रीडिंग कॉम्प्रिहेंशन सेक्शन में सरकारों के बाल मजदूरी पर रोक न लगा पाने पर कड़ी टिपण्णी की गई थी। लिखा था कि कई वर्षों से सरकारें भारत में खतरनाक उद्योगों में बाल श्रम के उन्मूलन का वादा करती रही हैं, लेकिन सच्चाई यह है कि तमाम बयानबाजी के बावजूद, कोई भी सरकार अब तक इस बुराई को खत्म करने में सफल नहीं हुई है और न ही अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा सुनिश्चित कर पाई है। हमारे पास कई कानून हैं जो खतरनाक उद्योगों में बाल श्रम पर प्रतिबंध लगाते हैं। बाल श्रम (निषेध और विनियमन) अधिनियम, 1986 के अनुसार, खतरनाक व्यवसायों में 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के रोजगार पर सख्ती से प्रतिबंध लगा दिया गया है। लेकिन प्रत्येक राज्य में बाल रोजगार की न्यूनतम आयु के संबंध में अलग-अलग नियम हैं। इससे इन कानूनों का कार्यान्वयन कठिन हो जाता है।