Bilaspur News: लिफ्ट में फंस गई गर्दन…इलेक्ट्रिक दुकान में काम करने वाले नाबालिग की मौत, 10 फीट तक घसिटाया सिर
CG Incident News: बिलासपुर में इलेक्ट्रिकल दुकान में काम करने वाले 15 साल के बच्चे की लिफ्ट में फंसकर मौत होने का मामला सामने आया है। लिफ्ट से चौथे फ्लोर पर सामान ले जाते वक्त लिफ्ट में किशोर का सिर फंसने से छोटू उर्फ सुमित केवट की मौत हो गई है।
Lift Accident: बिलासपुर में चार मंजिला इलेक्ट्रिकल दुकान की ओपन लिफ्ट में फंस कर एक नाबालिग की मौत हो गई। शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज कर सिटी कोतवाली पुलिस घटना की जांच कर रही है। गांधी चौक समीप स्थित चार मंजिला विशाल इलेक्ट्रिकल्स दुकान में डोंगापारा जूना बिलासपुर निवासी 14 वर्षीय बालक सुमित केवट उर्फ कालू पिता बल्लू निषाद काम करता था। बुधवार सुबह प्रथम तल से इलेक्ट्रिक सामान लेकर वह 40 फीट ऊपर चौथे माले में ओपन लिफ्ट से जा रहा था।
मिली जानकारी के मुताबिक तीसरी मंजिल में जब लिफ्ट पहुंची तभी उसका सिर लिफ्ट व दीवार के बीच में फंस गया। दीवार से उसका सिर घिसटते हुए चौथी मंजिल तक पहुंचा। लिफ्ट से नीचे जब खून टपका तब संचालक भरत हरियानी को घटना का पता चला। तब तक उसकी मौत हो चुकी थी। सिटी कोतवाली पुलिस को घटना की जानकारी मिलते ही वह मौके पर पहुंची और मर्ग कायम करते हुए शव को पोस्टमार्टम के लिए भिजवाया। लिफ्ट में सुमित का सिर कैंसे फंसा, इसे लेकर पुलिस जांच कर रही है।
दुकान संचालक की सफाई- छोटू नहीं, उसकी मां करती है घर में काम
इस घटना व श्रम कानून के उल्लंघन को लेकर दुकान संचालक भरत हरियानी का कहना है कि सुमित उसकी दुकान में काम नहीं करता था। उसकी मां 15 साल से उसके घर में काम कर रही है। काम के दौरान वह छोटू को दुकान में छोड़ कर चली जाती थी। वह लिफ्ट में कैसे चढ़ा, उन्हें पता नहीं।
लिफ्ट में फंसने से 14 वर्षीय बालक का सिर फंसने से मौत हो गई। मर्ग कायम कर शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया है। जबकि दुकान संचालक को नोटिस जारी किया गया है कि चार मंजिला दुकान के लिए क्या नगर निगम से परमिशन लिया गया था। क्या लिफ्ट के लिए जरूरी सुरक्षा मानकों का पालन किया गया है। इसके अलावा बिजली विभाग के अधिकारियों को पत्र लिख कर लिफ्ट की जांच कर रिपोर्ट सौंपने के लिए कहा गया है। उसी आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।
Bilaspur News: सख्ती जरूरी
सभी को जानकारी है कि नाबालिगों से काम लेना कानूनन अपराध है, फिर भी दुकानों, होटलों सहित कई जगहों पर बच्चे काम करते हुए आसानी से नजर आ जाते हैं। जिन पर ऐसे अपराधों पर नजर रख उसे खत्म करने का जिम्मा है वे दिन विशेष पर केवल रस्म अदायगी करते नजर आते हैं। सच्चाई यह है कि लोग जानते हुए रिस्क उठा रहे हैं। अस्तु जरूरत बाल मजदूर अधिनियम 1986 के तहत कड़ाई से कार्रवाई करने की है। श्रम विभाग और प्रशासन जब तक ऐसे मामलों में सख्त नहीं होंगे, मासूम का बचपन और भविष्य अंधेरे में समाता रहेगा। इसे रोकने के लिए सख्ती जरूरी है।
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