सरपंच को अयोग्य घोषित करने एसडीओ राजस्व से यह शिकायत की गई कि निर्वाचित
सरपंच अपने ससुर द्वारा शासकीय भूमि में अतिक्रमण कर बनाए गए घर में रह रही हैं। पंचायत राज अधिनियम के तहत शासकीय भूमि में कब्जा करने वाले सरपंच, पंच सहित ग्राम पंचायत के किसी भी पद के लिए अयोग्य हैं। शिकायत पर कलेक्टर जांजगीर चाम्पा ने सरपंच नीरा मनहरण को अयोग्य घोषित कर बर्खास्त कर दिया।
शासकीय भूमि पर अतिक्रमण का मामला
इसके बाद वर्ष 2022 में सरपंच पद के लिए उपचुनाव कराया गया। इसमें फिर से नीरा मनहर एवं एक अन्य ने नामांकन पत्र दाखिल किया। एकमात्र प्रतिद्वंदी प्रत्याशी द्वारा नामांकन पत्र वापस लेने पर नीरा मनहर निर्विरोध सरपंच बन गईं। नियमानुसार उन्हें 10 दिन बाद प्रमाण पत्र जारी होना था। इससे पहले उप सरपंच रमेश कुमार नायक ने निर्वाचन अधिकारी से शिकायत की कि ससुर द्वारा शासकीय भूमि में अतिक्रमण कर बनाए गए घर में वह निवासरत है।
कलेक्टर ने इस आधार पर उसे बर्खास्त किया है। इस कारण उसके नामांकन पत्र को निरस्त किया जाए। नामांकन पत्र निरस्त नहीं करने पर शिकायकर्ता ने
हाईकोर्ट में याचिका दायर कर ग्राम पंचायत के सरपंच चुनाव पर स्टे प्राप्त लिया। सुनवाई के दौरान सरपंच नीरा मनहर की ओर से अधिवक्ता योगेश चंद्रा ने जवाब प्रस्तुत कर कहा कि याचिकाकर्ता पूर्व में अपने ससुर के घर में रह रही थी।
उक्त भूमि पर उन्होंने अतिक्रमण नहीं किया है। इसके अलावा तहसीलदार एवं पटवारी ने भी प्रतिवेदन दिया है कि नीरा मनहर अपनी जमीन में बनाए घर में रह रही हैं। हाईकोर्ट ने सरपंच के निर्वाचन के खिलाफ प्रस्तुत याचिका को इस आधार पर खारिज किया कि नामांकन को खारिज करने की मांग के लिए चुनाव याचिका प्रस्तुत की जा सकती है।