हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच ने निर्णय में इस बात पर जोर दिया कि संविदात्मक और वाणिज्यिक निर्णय जैसी निविदाएं संबंधित अधिकारियों के विवेक के अंतर्गत आती हैं। जब तक कि मनमानी या दुर्भावना का स्पष्ट सबूत न हो, तब तक इसमें हस्तक्षेप करना उचित नहीं है। कोर्ट ने पाया कि नई निविदा भेदभावपूर्ण नहीं है। याचिकाकर्ता के पास नई निविदा प्रक्रिया में भाग लेने और अधिकारियों के पास यह चुनने का विवेक है कि अनुबंध का विस्तार किया जाए या नई निविदाएं आमंत्रित की जाएं।
Bilaspur High Court: यह है मामला
स्वामी विवेकानंद एयरपोर्ट में पार्किंग का ठेका 5 साल के लिए 28 अक्टूबर 2019 को मेसर्स अंजनेय एंटरप्राइजेज के संचालक संतोष तिवारी को दिया गया था। इसकी अवधि 28 अक्टूबर 2024 को समाप्त होनी है। इसे देखते हुए
एयरपोर्ट प्रबंधन द्वारा ई-टेंडर निकाला गया है। इसे रोकने के लिए कोविड-19 रियायती सहायता योजना का हवाला देते एक्सटेंशन मांगा था। साथ ही बताया गया था कि कंपनी ने बुनियादी ढांचे में भारी निवेश किया, जिसमें फास्टैग सिस्टम स्थापना भी शामिल है। कोविड-19 महामारी के कारण हुए वित्तीय नुकसान को कम करने के लिए शुरू की गई रियायती सहायता योजना के तहत ठेका एक्सटेंशन करने का अनुरोध किया था।
याचिकाकर्ता की ओर से तर्क दिया कि अन्य हवाई अड्डों ने इस योजना के तहत अपने रियायतकर्ताओं को विस्तार दिया था, लेकिन
रायपुर एयरपोर्ट प्रबंधन ने कई अनुरोधों और आवेदनों के बावजूद ऐसा नहीं किया। याचिकाकर्ता ने दावा किया कि यह मनमाना और भेदभावपूर्ण होने के साथ ही भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है। बता दें कि एयरपोर्ट प्रबंधन द्वारा नया ई-टेंडर जारी किया गया है। निविदा करने वालों के आवेदनों की जांच करने के बाद नया पार्किंग ठेका आवंटित किया जाएगा।