इससे पहले अगस्त माह में हुई सुनवाई में कोर्ट ने डीजी जेल से शपथपत्र में यह जानकारी मांगी थी कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार प्रदेश की जेलों की व्यवस्था सुधारने के लिए अब तक क्या क्या कार्रवाई और व्यवस्था की गई है। बुधवार को चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की डिवीजन बेंच में सुनवाई के दौरान शासन की ओर से बताया गया कि पूर्व में हाईकोर्ट द्वारा दिए गए आदेश का पालन नहीं हो सका है। इसके बाद डीबी ने अतिरिक्त महानिदेशक जेल को शपथपत्र पर जेलों की सपूर्ण व्यवस्था के संबंध में जानकारी प्रस्तुत करने का निर्देश देते हुए करीब 6 सप्ताह दिया।
उल्लेखनीय है कि प्रदेश की केंद्रीय जेलों में क्षमता से अधिक बंदियों की मौजूदगी को लेकर जनहित याचिका दायर की गई थी। इसके कुछ समय बाद जेलों में अमानवीय परिस्थितियों को लेकर भी और जनहित याचिकाएं दायर की गईं। हाईकोर्ट के संज्ञान में भी कुछ माध्यमों से यह बात आई कि जेलों में कैदियों की स्थिति अच्छी नहीं है। हाईकोर्ट ने अधिवक्ता रणवीर मरहास को न्यायमित्र नियुक्त किया था।
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