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Bilaspur Airport: बिलासपुर एयरपोर्ट के विकास का मार्ग प्रशस्त, नाइट लैंडिंग के लिए HC ने दिए यह निर्देश, 1 साल से अटका था मामला

Chhattisgarh News: बिलासपुर एयरपर्ट में विमानों के नाइट लैंडिंग के लिए उपकरण और तकनीक को लेकर एक साल से लटके मामले पर हाईकोर्ट ने काम तेज करने की मुहर लगा दी है। इसके लिए अब राज्य सरकार भी तैयार हो गई है।

बिलासपुरJul 20, 2024 / 08:15 am

Khyati Parihar

CG Employee News
Airport News: बिलासपुर हाईकोर्ट ने डीवीओआर टेक्नोलॉजी लगाने के लिए राज्य सरकार की सहमति के बाद नाइट लैंडिंग और जमीन सीमांकन का काम तेज करने के निर्देश दिए हैं। जस्टिस गौतम भादुड़ी और जस्टिस राधाकृष्ण अग्रवाल के कड़े रुख और सार्थक दखल से बिलासपुर एयरपोर्ट के विकास का मार्ग प्रशस्त हो गया है।
गुरुवार को जनहित याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने बताया कि कोर्ट के निर्देश पर हुई बैठक में केंद्र सरकार ने जो निर्देश नाइट लैंडिंग के संबंध में दिए गए है उन्हें मानने के लिए राज्य सरकार तैयार है। इससे स्पष्ट हो गया कि अब राज्य सरकार सेटेलाइट आधारित पीबीएन टेक्नोलॉजी के आधार पर नाइट लैंडिंग सुविधा की जिद नहीं करेगी।
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एयरपोर्ट की जमीन कोई कृषि भूमि नहीं, दो सप्ताह में करें सीमांकन

सेना के कब्जे वाली ज़मीन एयरपोर्ट को हस्तांतरित करने की प्रक्रिया लंबित रहने पर कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया और जिला प्रशासन के उस पत्र को स्वीकार किया, जिसमें पटवारी हड़ताल और बारिश को सीमांकन ना हो पाने का आधार बनाया गया था। कोर्ट ने कहा कि एयरपोर्ट की भूमि कोई कृषि भूमि नहीं है और भू राजस्व संहिता के हिसाब से तहसीलदार और अन्य राजस्व अधिकारी भूमि का सीमांकन कर सकते हैं।
कोर्ट ने 29 जुलाई से सीमांकन प्रारभ करने और दो सप्ताह में पूरा करने के निर्देश दिए। कोर्ट ने बाउंड्री वाल तोड़ने की अनुमति अभी तक नहीं मिलने पर ब्यूरो ऑफ़ सिविल एविएशन सिक्योरिटी को नोटिस भी जारी किया। याचिकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव, आशीष श्रीवास्तव, राज्य सरकार से अतिरिक्त महाधिवक्ता आरके गुप्ता, केंद्र की ओर से रमाकांत मिश्रा ने बहस की।

1 वर्ष से अटका था मामला

बता दें कि लगभग एक साल से केंद्र और राज्य के बीच एयरपोर्ट में नाइट लैंडिंग के लिए टेक्नोलॉजी के उपयोग पर मतभेद के कारण मामला अटका था। 19 जून को सुनवाई में हाईकोर्ट ने केंद्र और राज्य की संयुक्त बैठक बुला कर मामले को हल करने के निर्देश दिए थे। अंतत: राज्य को वही निर्देश मानने पड़े जो केंद्र ने अपने 18 अप्रैल के पत्र में दिए थे। उस निरर्थक बहस के कारण हुए समय के नुकसान की भरपाई के लिए कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिए कि वह केंद्र सरकार की एजेंसीज के साथ मिल कर जल्दी से जल्दी डीवीओआर आदि उपकरणों के स्थापना की प्रक्रिया शुरू करे।

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