एफआईआर नंबर, धारा, केस स्टेटस का करना होगा उल्लेख… इस व्यवस्था के तहत प्रदेश के अधीनस्थ अदालतों को अब किसी भी आरोपी की नियमित या अग्रिम जमानत की सुनवाई में आरोपी का पूर्व में कोई आपराधिक रिकॉर्ड होने पर एफआईआर नंबर, केस नंबर, धारा, तारीख, स्टेटस, पूर्व के केस में गिरफ्तारी व रिहाई का उल्लेख करते हुए चार्ट तैयार करना होगा।
मामले जल्द निराकृत करने में होगी आसानी हाईकोर्ट बार काउंसिल के उपाध्यक्ष उमाकांत सिंह चंदेल के अनुसार न्यायिक अभिरक्षा में भेजा गया आरोपी सबसे पहले संबंधित अधीनस्थ अदालत में जमानत प्रार्थना पत्र पेश करता है। वहां से जमानत खारिज होने पर वह हाईकोर्ट में जमानत की गुहार लगाता है। हाईकोर्ट द्वारा उसके पूर्व के आपराधिक रिकॉर्ड की जानकारी फाइल में न हेने से थाने से मंगाई जाती है । ऐसे में जमानत प्रार्थना पत्र निस्तारित होने में समय लगता है।
हाईकोर्ट ने भी दिया था आदेश उल्लेखनीय है कि हाईकोर्ट में एक मामले की सुनवाई के बाद 7अक्टूबर 2023 को एक आदेश भी पारित किया गया है। इसके अनुसार भी आवेदक या अभियुक्त के जमानत आवेदनों के निराकरण में देरी से बचने सीआरपीसी की धारा 439 के तहत दायर जमानत आवेदनों में आपराधिक रिकॉर्ड का उल्लेख करना आवश्यक है। जमानत आवेदन दाखिल करते समय हाईकोर्ट के उपरोक्त आदेश का अनुपालन सुनिश्चित किया जाना चाहिए।