बिलासपुर

बैगा आदिवासियों के गांधी प्रोफेसर खेरा की पांच अनकही और अनसुनी बातें, दंग रह जाएंगे आप

बैगा आदिवासियों की सेवा को अपने जीवन का लक्ष्य बनाने वाले प्रोफेसर खेरा के जीवन से जुड़ी पांच बातें जो अब तक अनकही और अनसुनी हैं।

बिलासपुरSep 25, 2019 / 08:12 pm

JYANT KUMAR SINGH

बैगा आदिवासियों के गांधी प्रोफेसर खेरा की पांच अनकही और अनसुनी बातें, दंग रह जाएंगे आप

बिलासपुर। दिल्ली यूनिवर्सिटी की नौकरी और महानगर की चकाचौंध को छोड़कर तात्कालीन बिलासपुर और वर्तमान मुंगेली जिले में बांघों से भरे अचानकमार के घने जंगलों में निवासरत बैगा आदिवासियों की सेवा को अपने जीवन का लक्ष्य बनाने वाले प्रोफेसर खेरा के जीवन से जुड़ी पांच बातें जो अब तक अनकही और अनसुनी हैं।

प्रोफेसर प्रभुदत्त खेरा एक मित्र हैं दिल्ली के प्राफेसर मारवाह, उन्होंने बताया कि खेरा जब एक बार दिल्ली गए तो उनका एक सहयोगी उन्हें खेड़ा खुर्द गांव ले गया। वो गांव खेरा को काफी पसंद आया। तो सहयोगी ने कहा आप यहीं क्यों नहीं रह जाते हैं, जमीन मैं दे देता हूं। इसके बाद खेरा ने वहां पर एक घर बनवाया। अंतिम दिनों में जब अस्पताल में खेरा से मिलने प्रोफेसर मारवाह आए तो उन्होंने खेरा से पूछा कि उस घर का क्या करना है, पहले तो प्रोफेसर खेरा को याद नहीं आया इसके बाद याद कर उन्होंने कहा कि जमीन तो मेरी नहीं थी, जिसकी जमीन है वो घर उसको ही दे दो

एक बार धरोहर सममान कार्यक्रम के दौरान अधिवक्ता कनक तिवारी ने कहा था कि मैने गांधी को भी देखा है पर जब जब प्रोफेसर खेरा को देखता हू तो ये मुझे गांधी से कहीं आगे दिखते हैं

खेरा ने अपनी पूरी संपत्ति सभी आदिवासी बैगा बच्चों के नाम कर दी हैं। इसमें उनका संचित निधि ४२ लाख रुपए, उनका पूरा पेंशन, उनको मिले पुरस्कार की राशि आदि शामिल है। उन्होंने अपनी अंतिम इच्छा में कहा कि इस राशि से एक लाख रुपए लेकर किसी गुरुद्वारे में लंगर करवा देना

Hindi News / Bilaspur / बैगा आदिवासियों के गांधी प्रोफेसर खेरा की पांच अनकही और अनसुनी बातें, दंग रह जाएंगे आप

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.