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10 जनवरी को राजधानी पुलिस ने अपहरण, आपराधिक षड्यंत्र का जुर्म दर्ज किया। डीजीपी ने उद्योगपति की सकुशल बरामदगी के लिए कई टीमें बनाईं। पुलिस टीम ने 22 जनवरी को उत्तरप्रदेश से उनको बरामद किया। मामले में डॉक्टर आफताब आलम, अनिल चौधरी, मुन्ना नाहक, शिशिर स्वाईं, प्रदीप भुईंया, तूफान गोंड को गिरफ्तार किया गया था। पांच अन्य आरोपी फरार थे। गिरफ्तार आरोपियों को रायपुर के अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश लीलाधर साय यादव ने 16 अगस्त 2023 को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।
साक्ष्यों पर सवाल उठाए फैसले के खिलाफ आरोपियों ने हाईकोर्ट में अपील और जमानत के लिए अंतरिम आवेदन प्रस्तुत किया था। गुरुवार को चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रविंद्र अग्रवाल की डिवीजन बेंच में आरोपियों के वकीलों ने तर्क दिया कि मुख्य आरोपी को पुलिस फरार बता रही है।
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फिरौती मांगने का कोई साक्ष्य पुलिस ने प्रस्तुत नहीं किया है। जिस गाड़ी को पुलिस रिकवरी कर जब्ती बता रही है, वह गाड़ी आरोपी अनिल चौधरी की ही है। बरामद संपत्ति को विवादित तरीके से जब्त किया गया है। एक आरोपी आफताब आलम अंसारी को पुलिस ने आरोपी तो बनाया है पर उससे ना तो कोई जब्ती है ना ही उसका मेमोरेंडम कथन लिया गया है। शक के आधार पर आरोपी बनाया गया है। पुलिस आपराधिक षड्यंत्र साबित नहीं कर सकी। सबूत के अभाव में भी अदालत ने सजा दी है।