सोसाइटी ऑफ मैन्युफैक्चरर्स ऑफ इलेक्ट्रिक वीइकल्स (SMEV) के डेटा के मुताबिक, FAME-II के माध्यम से अप्रैल-सितंबर 2019 के दौरान लगभग 3 हजार इलेक्ट्रिक टू-वीलर्स की बिक्री हुई है। पिछले साल की इसी अवधि में 48,671 यूनिट टू-वीलर्स बिके थे।
SMEV ने इस वित्त वर्ष के लिए दो लाख यूनिट की बिक्री का अनुमान दिया था। हालांकि, पॉलिसी में बदलाव होने से डिमांड घटने के बाद यह अनुमान घटाकर 1-1.10 लाख यूनिट किया गया है।
फिजिकल नहीं डिजीटल गोल्ड कराएगा कमाई
कस्टमर चाहते हैं सस्ता प्रोडक्ट-
कस्टमर कीमत देखकर खरीदारी का फैसला करते हैं। इस कारण कम स्पीड वाले इलेक्ट्रिक टू-वीलर्स की अधिक बिक्री का चलन अगले 4-5 साल तक बरकरार रहने वाला है।
SMEV के डायरेक्टर जनरल सोहिंदर गिल ने बताया कि लोग इन वाहनों के लिए ज्यादा कीमत चुकाने को तैयार नहीं हैं और सरकार जिन व्हीकल्स पर सब्सिडी दे रही है वो महंगे हैं। अगर सरकार ने FAME-II के तहत कम स्पीड वाले लिथियम-आयन इलेक्ट्रिक टू-वीलर्स पर इंसेंटिव दिया होता, तो इनकी कीमत घटकर 38-40 हजार रुपये पर आ जाती।’