स्टीलबर्ड हेलमेट को आज किसी पहचान की जरूरत नहीं, अपने बेहतरीन हेलमेट के लिए यह कंपनियां एशिया की नंबर वन हेलमेट कंपनी बन चुकी है। स्टीलबर्ड लाखों लोगों की जान बचा चुकी है। हाई क्वालिटी, भरोसेमंद हेलमेट और हर वर्ग को ध्यान में रखते हुए कंपनी लगतार हेल्मेट्स का निर्माण कर रही है। इस समय भारत में कई अन्य ब्रांड्स भी हैं जो हेलमेट बनाते हैं, फिर आखिर स्टीलबर्ड हेलमेट कंपनी कैसे आसमान की बुलंदियों पर पहुंच चुकी है ? इस कहानी को विस्तार से समझने के लिए हमने मुलाकात की हेलमेट किंग राजीव कपूर से, जोकि एमडी हैं स्टीलबर्ड हेलमेट के.. आइये उन्हें से जानते हैं .. इस कामयाबीके पीछे की असली कहानी …
राजीव कपूर का मानना है कि कोई भी इंसान अकेला काम नहीं कर सकता उसके लिए उसकी टीम का होना बहुत जरूरी है,और टीम को बनाने के लिए एक कंसिस्टेंसी चाहिए,उनके साथ अपनापन चाहिए, लगाव चाहिए,विश्वास चाहिए आत्म बल चाहिए और साथ ही बहुत जरूरी बात यह, बॉस बनकर कभी भी किसी को नहीं सीखा सकते क्योंकि बॉस से हमेशा एक दूरी बनी रहती है एक लीडर बन कर आप उनका मार्गदर्शन करते हैं, आत्मविश्वास भरते हैं, बता सकते हैं कि उनको काम कैसे करना चाहिए।
आपके पहले गुरु कौन है?
राजीव कपूर: जिंदगी में गुरु का महत्व बहुत बड़ा है लेकिन हर एक इंसान के माता-पिता ही उसके परम गुरु होते हैं मेरे भी वही गुरु हैं।
माता-पिता का आपके जीवन में क्या योगदान रहा?
राजीव कपूर: मैं अपने माता-पिता द्वारा दी गई शिक्षा के कारण वह बना हूं जो आज हूं, उन्होंने मुझे मेहनत करना सिखाया,कृतज्ञता सिखाई, कर्म निष्ठ बनना सिखाया, हर एक इंसान में उसकी खूबी को ढूंढने का हुनर दिया अपनी हुनर को पहचानने का तरीका दिया किस प्रकार मेहनत करके सफलता की सीड़ियों पर पहुंचा जा सकता है करके अपनी लगन के साथ वह सब शिक्षा उन्हीं से पायी मैंने।
आप अपने बचपन,और स्कूल डेज के बारे में कुछ बताएं?
राजीव कपूर: मेरा बचपन संयुक्त परिवार में बीता जहां पर मैंने अपनी परम शिक्षा पाई हम अपने दादा-दादी, चाचा-चाची उनके बच्चे सभी इकट्ठे रहा करते थे, आपस में हमारा बहुत ही प्रेम था और आज भी है। मेरी अधिक रुचि खेल में थी मैं हर प्रकार के खेल में भाग लिया करता था और सबसे प्रिय मुझे बैडमिंटन होता था।! हर एक गेम को एक चुनौती की तरह लिया करता था, और जब तक विजय हासिल नहीं करता, कभी बैठता नहीं था और शायद यही एक तरीका है, मेरी नज़र में जो किसी भी इंसान को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है। एक नव जोश चाहिए जो मुझे खेल से मिला करता था।
MBA छोड़ स्टीलबर्ड से कैसे जुड़े आप?
राजीव कपूर: जिंदगी की वास्तविक पढ़ाई तो बचपन में ही शुरू हो गई थी, गर्मियों की छुट्टियों में पिताजी के साथ फैक्ट्री जाया करता था।हमारी गणेश नगर में भी एक फैक्ट्री हुआ करती थी उस समय बहुत बड़ी नहीं थी, पर वहां मुझे ले जाया करते थे और सिखाते कि किस प्रकार हमारे हेलमेट बन रहे हैं पेंट हो रहा है और किस शिद्दत से लोग अपना गर्मी में भी कम कर रहे हैं मुझे देखकर लगता कि क्या हम उनको सही वेतन देते हैं जितनी मेहनत करते हैं तो पिताजी ने बताया कि हम कभी भी किसी का हक नहीं रखते और इन्हें हमेशा अधिक देते हैं ताकि हमारा परिवार बने तभी से मुझे एक परिवार बनाने की आदत हो गई कि जितने भी लोग हमारे पास काम करते हैं वह मेरा ही परिवार है और मुझे ही इनका ध्यान रखना है।
अपनी स्कूलिंग पूरी करते ही मैं काम पर आ गया था और कॉलेज की पढ़ाई भी साथ-साथ की। मुझे वह काम सौंपा जाता था जो किसी और के बस का नहीं होता था, मैं हर काम को एक चुनौती की तरह करता था, बहुत बेस लाइन से मुझे हर कार्य की शिक्षा दी गई और बड़ी प्रेम से की पता ही नहीं चला कि मेरी यह ट्रेनिंग हो रही है, जिसका श्रेय मैं अपने परम गुरु, अपने पिता को देता हूँ,जिन्होंने मुझे इस काबिल समझा कि मैं हर रिस्पांसिबिलिटी को बखूबी उठा सकता हूं और मैं आज दावे के साथ कह सकता हूँ कि मैंने हर रिस्पांसिबिलिटी को पूरी शिद्दत से निभाया और बड़े प्रेम के साथ, दृढ़ता के साथ हर कार्य को पूरा किया स्टीलबर्ड मेरी जिंदगी बन गया मेरी सांसों में स्टीलबर्ड बसता है।
स्टीलबर्ड ने अब तक कोई ब्रांड एंबेसडर क्यों नहीं बनाया?
राजीव कपूर: इस विषय में मेरा यह मानना है कि स्टीलबर्ड अपने आप में ब्रांड इमेज है स्टीलबर्ड 1964 से है और उसने कितनी पीड़ियों की जान बचाई है, आज जो बच्चे पहन रहे हैं, उनसे पहले उनके पिताजी उनके दादाजी भी हमारे हेलमेट पहनते थे! स्टीलबर्ड के कारण लाखों लोगों की जान बची है, और सबसे अधिक रेकमैंडेड ब्रांड माना जाता रहा है, हमारा एक ही लक्ष्य है कि स्टीलबर्ड हेलमेट पहन के हर एक की सुरक्षा हो किसी व्यक्ति की जान ना जाए इसीलिए यही हमारा ब्रांड है और हम इसी के साथ इसी लक्ष्य के साथ हमेशा आगे बढ़ते रहे हैं।
क्या स्टीलबर्ड ने कभी ब्लैक का व्यापार किया है?
राजीव कपूर: स्टीलबर्ड परिवार अपने देश से बहुत प्रेम करता है और जिस प्रकार भी वह अपने देश की सेवा कर सके वह करता है, हम हमेशा से अपना टैक्स पूरी तरह से देते आए हैं जब ड्यूटी 200% भी होती थी तब भी हम पूरा टैक्स दिया करते थे कभी टैक्स की चोरी नहीं करी यह भी हमारी एक खासियत है जिससे हम अपना सर ऊंचा रखते हैं खासियत है जिसके कारण हम अपना सर ऊँचा रखते हैँ जो अपने देश का सम्मान करता है देश उसे बहुत सम्मान देता है ऐसी भावनाओं के साथ हमने जीना सीखा है।
ऐसा नहीं की स्टीलबर्ड पर मुश्किल नहीं आई किंतु बहुत कड़ी मुश्किलों में थी हमने कभी काले धन या ब्लैक का व्यापार नहीं किया।एक घटना साँझा कर रहा हूँ, सन 2002 में हमारे मायापुरी यूनिट में भयंकर आग लग गयी, उसी दिन की सुबह को 4 करोड़ का माल एक्सपोर्ट होना था किंतु वह सब तहस-नहस हो गया, उस समय हम एक्सपेंशन कर रहे थे और 21 करोड़ का लोन भी था, सयुंक्त परिवार भी अलग हो रहा था, 2002 में यह रकम बहुत बड़ी था किंतु हमने तब ही कभी ऐसा काम नहीं किया जिससे हमारा सर नीचा हो और दोबारा से जिंदगी की जर्नी शुरू करी।वह एक मुश्किल दौर था, किन्तु आत्म- बल, बड़ो का आशीर्वाद, पत्नी के सहयोग से सब मुमकिन हो गया।
हिमाचल में आपके कितने प्लांट हैं और लगभग कितने कर्मचारी आपके साथ काम करते हैं?
राजीव कपूर: हमारे हिमाचल प्रदेश में चार प्लांट हैं, इसके अलावा नोएडा में चार प्लांट हैं, दिल्ली में दो ऑफिस व एक ऑफिस इटली में है, एक ऑनलाइन कंपनी है जो की पंचकूला में है, हम 105 करोड़ की इन्वेस्टमेंट करने जा रहे हैं अपने बड्डी प्लांट में जिसके बाद 50000 हेलमेट रोज बनाये जा सकेंगे इसके अलावा तमिलनाडु में हम एक नया प्लांट लगा रहे हैं क्योंकि साउथ भी एक बहुत बड़ी मार्केट है वहाँ हमारा लगभग 100 करोड़ की इन्वेस्टमेंट करने का प्लान है, देश के सभी टू व्हीलर निर्माता कंपनी को हम ही हेलमेट सप्लाई करते हैं।
स्टीलबर्ड राइडर शॉप्स को लेकर आपके क्या प्लांस है?
राजीव कपूर: पूरे भारत में हम स्टीलबर्ड राइडर शॉप्स बना रहे हैं यह एक्सक्लूसिव राइडर्स शॉप्स होगी जहां स्टीलबर्ड की सारी रेंज मिलेगी इसके अलावा हम अपना एक्सक्लूसिव शोरूमखोलने जा रहे हैं जहाँ 3000 से ज्यादा हेलमेट मिलेंगे और ग्राहकों को बेहतर अनुभव भी यहां मिलेगा।
राजीव, जिंदगी को लेकर आपके क्या विचार है ?
राजीव कपूर: मेरा यह मानना है जिंदगी रोज-रोज नहीं मिलती तो जब तक आए हो हर दिन ऐसा हो कि शायद आज पूरा न दिया तो कल हो या न हो, मैं जिंदगी में पूरी शिद्दत के साथ जीता हूं खूब मेहनत करता हूं खूब पार्टी भी करता हूं खूब इंजॉय करता हूं और सबको खुश रखने का प्रयत्न करता हूं, दोस्ती और दोस्तों को बहुत महत्त्व देता हूँ और सबसे बड़ी बात अध्यात्म को साथ ले कर चलता हूँ। ज़िन्दगी में कोई छोटा -बड़ा नहीं होता, इसलिए जिससे भी कुछ सीखने को मिल जाता है, मैं हर संभव प्रयत्न करता हूँ। ज़िन्दगी स्वयं सबसे बड़ी गुरु है, इसे जी कर, इसे सम्मान देकर जीने का प्रयास करता हूँ।