बीकानेर

अनूठी परपंरा: राजस्थान में यहां दिवाली के दूसरे दिन सब सो रहे होते हैं तब बजाते हैं जोर-जोर से थाली

Diwali 2024: इसमें पारंपरिक रूप से छाजले को कूटने और थाली बजाने की रस्म का निर्वहन होता है। इस परंपरा का शास्त्रों में भी उल्लेख मिलता है।

बीकानेरOct 30, 2024 / 12:55 pm

Akshita Deora

धन की देवी लक्ष्मी का महापर्व है दीपावली। कार्तिक अमावस्या को मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्ति के लिए घर-घर में पूजा-अर्चना की जाती है। मां लक्ष्मी के स्वागत में घरों की साफ-सफाई कर रंगीन रोशनी और दीयों से सजाया जाता है। दीपावली के दिन ही नहीं, उसके अगले दिन अलसुबह घरों से अलक्ष्मी को निष्कासित करने और लक्ष्मी आगमन के लिए एक विशेष परंपरा का निर्वहन होता है, जिसका महिलाएं श्रद्धापूर्वक निर्वहन करती हैं। इसमें पारंपरिक रूप से छाजले को कूटने और थाली बजाने की रस्म का निर्वहन होता है। इस परंपरा का शास्त्रों में भी उल्लेख मिलता है।
यह भी पढ़ें

Honour Killing: प्रेम विवाह करने से गुस्साए सास-ससुर ने दामाद पर चलवाई गोलियां, मौत के 7 साल बाद 5 लोगों को हुई उम्रकैद

ऐसे निभाते हैं परंपरा


विगत चार दशकों से इस परंपरा का निर्वहन कर रही हेमलता व्यास के अनुसार दीपावली के अगले दिन सुबह जब घर के सदस्य नींद में सो रहे होते हैं, उस समय पहले घर में झाडू लगाकर कचरे को छाजले में एकत्र किया जाता है। इस कचरे को घर से बाहर किसी चौराहे पर अथवा मुख्य मार्ग पर डाल दिया जाता है। वापस आने पर घर के मुख्य द्वार के पास से थाली बजाते हुए घर के आंगन तक पहुंचती हैं। लक्ष्मी आगमन के लिए प्रसन्नता व्यक्त की जाती है। छाजले को लकड़ी से कूटा जाता है।
यह भी पढ़ें

राजस्थान में अफीम की खेती करने का शानदार मौका, केंद्र सरकार जारी करेगा लाइसेंस, जानें Full Details

शास्त्रों में उल्लेख


ज्योतिषाचार्य पंडित अशोक ओझा नानगाणी के अनुसार, शास्त्र वचनों के आधार पर यह कार्य महिलाओं की ओर से घरों से अलक्ष्मी के निस्तारण व लक्ष्मी के आगमन के भाव से किया जाता है। इस संदर्भ का उल्लेख – अलक्ष्मी निष्कासनमिति – एवं गते निशीथे तु जने निद्रान्धलोचने। तावन्नगर नारीभि: शूर्पडिण्डिम वादनै:। निष्कास्यते प्रह्ष्टाभिर लक्ष्मी: स्वगृहाग्डणात। आदि शास्त्रवचन में मिलता है। ब्रजेश्वरलाल व्यास के अनुसार निर्णयसिन्धु -द्वितीय परिच्छेद में अलक्ष्मी नि:सारण के लिए महिलाओं की ओर से निभाई जाने वाली इस परंपरा का उल्लेख मिलता है।

Hindi News / Bikaner / अनूठी परपंरा: राजस्थान में यहां दिवाली के दूसरे दिन सब सो रहे होते हैं तब बजाते हैं जोर-जोर से थाली

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.