पंडित ओझा बताते है कि कन्याओं के मान-सम्मान स्वरूप इसकी शुरुआत की गई थी। वर्ष 1969 में बीकानेर से रामदेवरा तक तीन दिवसीय यात्रा की शुरुआत एक बस से की गई। बाद में साल दर साल बसों की संख्या बढ़ते-बढ़ते अब 60 से ज्यादा बसें रामदेवरा जाती है।
खास बात यह है कि भले ही धार्मिक यात्रा रहती है लेकिन इसमें किसी भी धर्म या जाति की कुंवारी बालिका फ्री यात्रा कर सकती है। इस तरह हर साल सैकड़ों बालिकाएं और युवतियां इस सेवा का लाभ लेती है। इस बार बस यात्रा 15 अक्टूबर को गोकुल सर्किल से शुरू होगी। बसें 17 अक्टूबर को वापस बीकानेर आएगी। इस बार 75 बसें बीकानेर से रामदेवरा जाएगी।
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बीस फीसदी लड़कियां
बीकानेर से रामदेवरा तक की इस बस यात्रा में हजारों श्रद्धालु जाते है। यात्रियों में करीब बीस प्रतिशत कुंवारी लड़कियां शामिल होती है। बसों में दस साल से कम आयु के लड़कों का भी किराया नहीं लिया जाता है। बसें नत्थूसर गेट गोकुल सर्किल से रवाना होती है। धार्मिक स्थल कोडमदेसर होकर रामदेवरा जाती है। बाबा रामदेव के दर्शन-पूजन के साथ कडाई का महाप्रसाद किया जाता है। शरद पूर्णिमा के दिन यात्रा रामदेवरा से पुन: रवाना होकर आशापुरा, फलौदी, कोलायत होकर बीकानेर पहुंचती है।…अब कर रही पौत्रियां व दोहितियां फ्री यात्रा
बस यात्रा का संचालन 55 साल से हो रहा है। ऐसे में कभी एक कुंवारी कन्या के रूप में यात्रा करने वाली लड़कियां अब दादी- नानी बन चुकी है। अब इनकी पौत्रियां व दोहितियां इस बस यात्रा में निशुल्क यात्रा कर रही है।जनसहयोग से संचालन
बीकानेर-रामदेवरा बस यात्रा में सेवाभावी लोगों का जुड़ाव दशकों से चल रहा है। पंडित ओझा बताते है कि बस यात्रा में लालचंद पुरोहित सूरदासाणी, देवाभा सूरदासाणी, शंकरलाल ओझा, ओझिया महाराज, बद्री प्रसाद पुरोहित, फीनसा ओझा, गोपाल जोशी, पापड़िया महाराज, घनजी जोशी, दसू महाराज ओझा, मोडजी पुरोहित, छोटूसा व्यास का शुरुआत से सहयोग मिल रहा। वर्तमान में युवाओं की टीम ने इस सेवा की कमान संभाल ली है। बीकानेर जिला प्रशासन, पुलिस प्रशासन, फलौदी व जैसलमेर जिला प्रशासन का भी सहयोग मिलता रहता है। आम यात्रियों से भी बहुत कम किराया लिया जाता है।