बीकानेर

पशु अस्पतालों में नहीं है दवा, पशुपालक परेशान

विधानसभा चुनाव से पहले लगी आचार संहिता से लेकर अब लोकसभा चुनाव ख़त्म होने के बाद भी आज तक सरकारी पशु चिकित्सालय में दवा नहीं मिल पाई।

बीकानेरJun 11, 2024 / 08:20 pm

Atul Acharya

बज्जू कस्बे सहित क्षेत्र में पशु चिकित्सालय में दवाइयों के अभाव में पशुपालक को अपने पशुओं के उपचार के लिए बाहर से दवाइयां खरीदने को मजबूर है। विधानसभा चुनाव से पहले लगी आचार संहिता से लेकर अब लोकसभा चुनाव ख़त्म होने के बाद भी आज तक सरकारी पशु चिकित्सालय में दवा नहीं मिल पाई। पशुपालन विभाग के अधिकारी इसका मुख्य कारण नया टेंडर नहीं होना बताते हैं। अब आचार संहिता हटने के बाद भी दवा पशुपालकों को नसीब नहीं हो रही है। बज्जू सहित बीक़मपुर, राववाला, सेवड़ा, बरसलपुर, माणकासर, बिजरी, फुलासर बड़ा के अस्पतालों के हाल भी बेहाल बने हुए हैं। वहीं 18 उप केंद्रों में भी दवा की स्थिति चिंताजनक है। सरकारी पशु चिकित्सालयों के लिए दवाइयों की खरीद जयपुर में निदेशालय स्तर पर होती है। बाद में राज्य भर के पशु चिकित्सालयों में आपूर्ति कर दी जाती है। पिछले साल 30 अक्टूबर को विधानसभा चुनाव की आचार संहिता लगने के बाद दवा की खरीद नहीं हो पाई। पूर्व में खरीदी गई दवाइयों से दिसम्बर-23 तक तो जैसे-तैसे काम चल गया। उसके बाद सरकारी पशु चिकित्सालयों में आपूर्ति बंद पड़ी है। बीमार पशुओं को देने के लिए एक टेबलेट तक नहीं है। पिछले दिनों कुछ दवाएं पहुँची, वो भी ऊंट के मुंह में जीरे के समान।
टीकाकरण भी ठप
सरकारी पशु चिकित्सालयों में हीट वेव की चपेट में आए पशुओं के उपचार के लिए दवाइयां ही नहीं है। इसमें मुख्य रूप से मवेशियों में पोषक तत्वों की कमी को बढ़ाने, घाव व ड्रेसिंग के लिए उपयोग में आने वाली दवा, मवेशियों में कीड़े पड़ने पर दी जाने वाली दवा व जेल तथा फिनाइल तक चिकित्सालय में नहीं है। पशुओं के टीकाकरण का काम भी ठप पड़ा है।

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