तिथि, वार, संवत और लग्न का उल्लेख दीपावली पर बाजारों में उस दौर में उपलब्ध होने वाले प्रिंटेड दीपावली पूजन पत्रों में दीपावली पूजन की तिथि, वार, संवत और किस लग्न में मां लक्ष्मी का पूजन किया जाएगा, इसका उल्लेख होता था। वहीं पत्र में सभी परिवारजनों के लिए सुख-समृद्धि की कामना, दीपावली की शुभकामनाएं प्रेषित की जाती थीं। व्यापारियों की ओर से भी एक-दूसरे को दीपावली पूजन के पत्र भेजने की परंपरा थी। सबसे अंत में पत्र भेजने वाले के नाम का भी उल्लेख होता था।
महालक्ष्मी, सरस्वती, बही, कलाम और दवात पूजन परंपराओं से संबंधित ऐतिहासिक दस्तावेजों का संग्रहण करने वाले ब्रजेश्वर लाल व्यास बताते हैं कि दशकों पूर्व दीपावली पर भेजे जाने वाले प्रिंटेड पत्रों, पोस्टकार्ड आदि में महालक्ष्मी और सरस्वती पूजन सहित नई बही, कलम और दवात पूजन का भी उल्लेख किया जाता था। बीकानेर के लोगों और स्थानीय व्यापारियों की ओर से भेजे जाने वाली दीपावली पूजन पत्रों में नगर सेठ लक्ष्मीनाथ महाराज की सदैव कृपा बनी रहे, का भी उल्लेख मिलता है। महालक्ष्यै नम:, जयश्री कृष्ण, महालक्ष्मीजी महाराज आदि पारंपरिक शब्दों का भी उल्लेख किया जाता था।
रहता था इंतजार वरिष्ठ नागरिक ईश्वर महाराज बताते हैं कि सालों पहले दीपावली पूजन के पत्र, पोस्टकार्ड का इंतजार रहता था।रिश्तेदारों सहित जान-पहचान के लोग भी दीपावली पूजन की जानकारी भेजते थे। उन पत्रों को पढ़कर मन में प्रसन्नता का अनुभव होता था। पत्रों में उनका प्रेम, स्नेह और अपनत्व झलकता था। पंडित ओम प्रकाश ओझा बताते हैं कि कोलकाता, चेन्नई सहित देश के विभिन्न स्थानों पर रहने वाले रिश्तेदार, यजमान दीपावली पत्र, पोस्टकार्ड लिखकर लक्ष्मी पूजन की जानकारी भेजते थे। अब मोबाइल, सोशल मीडिया, वीडियो कॉलिंग से संदेशों का आदान-प्रदान हो रहा है।