मिश्र ने कहा कि जल संसाधनों की सुरक्षा, संरक्षण और संवर्धन विषय पर नए सिरे से शोध और अनुसंधान किए जाएं। उन्होंने परंपरागत खेती के साथ खेती की नई तकनीकों को प्रोत्साहित करने के दिशा में विश्वविद्यालय द्वारा विकसित की गई चने की मूमल किस्म, जीएनजी 1581 गणगौर और मोठ की वेरायटी किस्म के लिए विश्वविद्यालय को बधाई दी। उन्होंने खजूर अनुसंधान के क्षेत्र में 34 नई किस्मों सहित 54 प्रकार की किस्में विकसित करने, विश्वविद्यालय की मरूशक्ति इकाई द्वारा तैयार बाजरा बिस्कुट की सामग्री पर पेटेंट और यूनाइटेड किंगडम द्वारा फसल अवशेष प्रबंधन मशीन पर प्राप्त पंजीकरण के विश्वविद्यालय के प्रयासों को महत्वपूर्ण बताया।
राज्यपाल ने कहा कि विकसित भारत के संकल्प को साकार करने में युवा शक्ति देश के लिए प्रतिबद्ध होकर कार्य करें। शिक्षक युवा पीढ़ी को संस्कारवान बनाएं। शिक्षक न केवल ज्ञान का स्रोत हैं, बल्कि युवा पीढ़ी को नैतिक, संस्कारवान, संवेदनशील और समर्पित नागरिक बनाने में भी उनकी अहम भूमिका है। उन्होंने समसामयिक विषयों पर विद्यार्थियों की समझ बढ़ाने के प्रति शिक्षक अपना उत्तरदायित्व निभाने का आह्वान किया। मिश्र ने कहा की नई शिक्षा नीति में मौलिक शोध और अनुसंधान पर विशेष ध्यान दिया गया है। इसी के अनुरूप इनोवेशन सेंटर, इनक्यूबेशन सेंटर, नवीन स्टार्टअप के लिए विद्यार्थी तैयार करें। राज्यपाल ने आरंभ में संविधान की उद्देशिका और मूल कर्त्तव्यों का वाचन करवाया। इस दौरान ‘विश्वविद्यालय: प्रगति के सौपन’ लघु फिल्म का प्रदर्शन किया गया। समारोह में दीक्षांत उद्बोधन में पद्म भूषण प्रो. राम बदन सिंह ने देश की बढ़ती आबादी को भोजन उपलब्ध कराने के के लिए मानव और प्राकृतिक संसाधनों का विवेकपूर्ण इस्तेमाल किए जाने पर जोर दिया। पूर्व कुलपति प्रो. बी. आर. छींपा ने जलवायु अनुकूल तकनीकों का विकास करने, जैविक और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने और पर्यावरण सुरक्षा के लिए कार्य करने की आवश्यकता जताई। कुलपति डॉ. अरुण कुमार ने विश्वविद्यालय का प्रगति प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। राज्यपाल ने विद्यार्थियों को उपाधियां प्रदान की। समारोह में 19 विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक और 3 विद्यार्थियों को कुलाधिपति स्वर्ण पदक से सम्मानित किया गया।