बीकानेर

इस मंदिर में ताले में बंद रहती है देवी की प्रतिमा

लक्ष्मीनाथ मंदिर परिसर ​िस्थत मां नागणेचीजी का मंदिर पांच शताब्दी से अ​धिक प्राचीन है। यह स्थान बीकानेर स्थापना के समय पहला गढ़ था। यहां से कई राजाओं ने शासन किया। इस मंदिर में ​िस्थत देवी प्रतिमा ताले में बंद रहती है। केवल पुजारी ही गर्भगृह में प्रवेश करता है व पूजन तथा आरती करता है। श्रद्धालु जाली के गेट से देवी मां के दर्शन करते है।

बीकानेरOct 08, 2024 / 10:21 pm

Vimal

बीकानेर. राव बीका ने 537 वर्ष पहले बीकानेर शहर की स्थापना की थी। वर्तमान में जहां नगर सेठ श्री लक्ष्मीनाथ मंदिर है। यह बीकानेर शहर का पहला गढ़ था। इसी स्थान पर नगर संस्थापक राव बीका व उनके बाद के कई राजाओं ने बैठकर शासन चलाया। इसी परिसर में स्थित है राठौड़ों की कुल देवी नागणेचीजी का प्राचीन मंदिर। कहा जाता है कि राव बीका ने गढ़ स्थापना के साथ अपनी कुल देवी नागणेचीजी तथा चामुण्डा माता मंदिर की स्थापना की थी। यह प्राचीन मंदिर न केवल अपनी प्राचीनता और ऐतिहासिकता के लिए, बल्कि ताले में बंद रहने वाली नागणेचीजी देवी प्रतिमा के लिए भी प्रसिद्ध है। इस मंदिर में सालभर दर्शन-पूजन के साथ नवरात्रा में विशेष पूजन, अनुष्ठानों का क्रम चलता रहता है। देवी प्रतिमा के प्रति श्रद्धालुओं की अटूट आस्था और श्रद्धा भाव है।
पूजन, आरती व भोग के लिए खुलता है ताला

मंदिर पुजारी श्याम सुंदर व रामरतन देरासरी बताते हैं कि देवी प्रतिमा के पूजन, आरती और भोग अर्पित करने के दौरान ही गर्भगृह का ताला खोला जाता है। गर्भगृह के द्वार पर जाली का गेट लगा है। श्रद्धालु इसी जाली से देवी प्रतिमा का दर्शन करते हैं। गर्भगृह में केवल पुजारी ही प्रवेश करते हैं। श्रद्धालुओं का प्रवेश वर्जित है। मंदिर पुजारी के अनुसार, रियासतकाल से यह परंपरा चल रही है। संभव है उस दौर में सुरक्षा की दृष्टि से यह व्यवस्था प्रारंभ की हो। देश की आजादी के बाद से अब तक यह व्यवस्था चल रही है।
चांदी से निर्मित,हाथों में शस्त्र

मंदिर में स्थापित मां नागणेचीजी की प्रतिमा चांदी से बनी हुई है। देवी के हाथों में शंख, चक्र, गदा, भाला, तलवार, पाश सहित अनेक शस्त्र हैं। प्रतिमा के दोनों तरफ देवी के वाहन सिंह भी विराजमान हैं। तीन वर्ष पहले मंदिर में संगमरमर से निर्मित एक और प्रतिमा स्थापित की गई। नागणेचीजी के मंदिर के पास ही चामुण्डा देवी का भी मंदिर है।
राठौड़ों की कुल देवी

इतिहासकार जानकी नारायण श्रीमाली के अनुसार, देवी का नाम चक्रेश्वरी भी है। नागाणा देवी के रूप में प्रसिद्ध हैं। देवी के अठारह हाथ हैं। सिर पर नाग के फन हैं। हाथों में शस्त्र हैं। वर्तमान लक्ष्मीनाथ मंदिर परिसर बीकानेर नगर स्थापना के समय पहला गढ़ था। यह सौभाग्यदीप के रूप में प्रसिद्ध रहा। राव बीका व उसके बाद कई राजाओं ने इसी स्थान से शासन किया। गढ़ की स्थापना के समय नगर संस्थापक राव बीका ने अपनी कुल देवी नागणेचीजी तथा चामुण्डा देवी के मंदिर यहां स्थापित किए थे।

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