वैज्ञानिकों की इस टीम ने प्राप्त की सफलता केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. टी राव तालुड़ी एवं टीम ने यह सफलता प्राप्त की है। इसमें डॉ. सज्जन कुमार, डॉ. आर के देदड़, डॉ. जितेंद्र सिंह, डॉ. एम कुट्टी, डॉ. एस सी मेहता, डॉ. टी के भट्टाचार्य एवं मिस्टर पासवान शामिल रहे। इस टीम ने इससे पहले मारवाड़ी घोड़े के 20 भ्रूण और जांस्कारी घोड़े के 3 भ्रूणों को सफलता पूर्वक विट्रिफाई करने में सफलता प्राप्त की है।
घोड़ों की घटती संख्या के बीच सकारात्मक संकेत देश में घोड़ों की आबादी तेजी से घट रही है। 19वीं और 20वीं पशुधन गणना (2012-2019) के आंकड़ों के मुताबिक इस अवधि में घोड़ों की संख्या में 52.71% की कमी आई है। ऐसे में घोड़ों की स्वदेशी नस्लों के संरक्षण के लिए तुरंत उपाय करने की आवश्यकता है। इसी के दृष्टिगत केंद्र स्वदेशी घोड़ों की नस्लों के संरक्षण के लिए कई तरह के प्रयास कर रहा है।