बीकानेर

दवा के नाम पर मर्ज साबित हो रही आरजीएचएस योजना

हर माह जमा हो रही राशि, नहीं मिल रही पूरी दवाइयां
 

बीकानेरJan 10, 2023 / 07:48 pm

Ashish Joshi

दवा के नाम पर मर्ज साबित हो रही आरजीएचएस योजना

राज्य सरकार ने कर्मियों तथा पेंशनरों की सुविधा के लिए आरजीएचएस योजना शुरू की थी। इस योजना का उद्देश्य यह रखा गया था कि कर्मचारियों को दवाइयों के लिए भटकना नहीं पड़े। उन्हें अगर किसी सरकारी अस्पताल में दवा नहीं मिले, तो बाहर की कुछ दुकानों से दवा उपलब्ध कराई जा सके। इसके लिए हर माह कर्मचारियों के वेतन से राशि भी जमा होती है। हालांकि, हकीकत है कि इन सबके बाद भी कर्मियों-पेंशनरों को पर्याप्त दवाइयां नहीं मिल रही हैं। उन्हें दवा खरीदनी पड़ रही है। उस पर तुर्रा यह है कि सरकार ने कई इंजेक्शन, मल्टीविटामिन, प्रोटिन आदि आरजीएचएस से हटा ही दिया है। इसके अलावा प्रसूति रोग से सबंधित दवाइयां भी लगभग आधी उपलब्ध नहीं हो पा रही हैं।

दुकानों से मिलता है टका सा जवाब

चिकित्सक कर्मचारियों तथा पेंशनरों के इलाज के लिए कई तरह की दवाएं लिखते हैं। जब मरीज आरजीएचएस से अनुमोदित दुकानों पर दवा लेने जाते हैं, तो उन्हें कुछ दवाइयां दी जाती हैं और कुछ देने से मना किया जाता है। उन्हें कह दिया जाता है कि पूर्व में जारी सूची में से कुछ दवाइयों को हटा दिया गया है। सबसे ज्यादा समस्या चर्म रोग वाले मरीजों को आती है। चिकित्सक अगर उन्हें टैबलेट के अलावा लोशन और क्रीम आदि लिखते हैं, तो उन्हें मिलती नहीं है। इसके अलावा फूड प्रोडेक्टस तो शुरू से ही बंद हैं। साथ ही प्रसूति रोग से संबंधित भी कई तरह दवाइयां नहीं मिल रही हैं।

176 तरह की दवाइयां की बंद

आरजीएचएस योजना में कई तरह की दवाइयां शामिल की गई थीं। योजना के शुरुआत में तो सभी तरह की दवाइयां मिल रही थीं, लेकिन पिछले कई दिनों से धीरे-धीरे करके 176 दवाइयां बंद कर दी गईं। ऐसे में मरीजों को नगद राशि खर्च कर दवाइयां खरीदनी पड़ रही हैं।

जिले में 70 दुकानें अनुमोदित

जिले में आरजीएचएस योजना में दवाइयों की 70 दुकानें एप्रुप्ड की हुई है। उन्हें भी समय पर भुगतान नहीं मिलता है।850 रुपए की कटौती शुरू

आरजीएचएस में दवाइयों के पेटे सरकार कर्मचारियों के वेतन में से ग्रेड के अनुसार कटौती करती है। 850 रुपए से न्यूनतम कटौती है। इससे अधिक राशि कर्मचारी के ग्रेड के अनुसार काटी जाती है।

बीकानेर में 22 हजार पेंशनर

बीकानेर में करीब 22 हजार पेंशनर हैं। इन सभी को राज्य कर्मचारियों की तरह ही आरजीएचएस योजना से दवाइयों मिलती हैं। एक अनुमान के मुताबिक, प्रदेश में करीब साढ़े तीन लाख पेंशनर्स और करीब 8 लाख कर्मचारी हैं।

मरीज परेशान होते हैं

चिकित्सक आरजीएचएस की पर्ची पर दवा लिख देते हैं। जब मरीज दुकान पर आते हैं, तो उन्हें पूरी दवाई नहीं मिल पाती है। ऐसे में मरीज परेशान होते हैं और सामने वाले को भी परेशान करते हैं। करीब 176 बंद दवाइयां सरकार को फिर से शुरू करनी चाहिए।

– बाबूलाल गहलोत, अध्यक्ष बीकानेर डिस्ट्रिक्ट केमिस्ट एसोसिएशन

जो दवा लिखी, वह मिलनी चाहिए

चिकित्सक ने कर्मचारी को जो भी दवा लिखी है। उसे मिलनी चाहिए। क्याेंकि कर्मचारी के वेतन में से कटौती की जा रही है। सरकार को कर्मचारियों के हित में सभी तरह की दवाइयां देनी चाहिए।

– पृथ्वीराज लेघा, जिलाध्यक्ष राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ

सरकार संवेदनशील नहीं

सरकार पेंशनरों को लेकर संवेदनशील नहीं है। सरकार सिर्फ चिरंजीवी योजना को ही बढ़ावा दे रही है। पेंशनरों के हिताें का ध्यान नहीं रखा जा रही है। एक साल हो गया, बैठक तक आयोजित नहीं कराई गई।

– ओमप्रकाश जोशी, जिलाध्यक्ष राजस्थान पेंशनर समाज

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