जन्म से ही दोनों नवजात बीमार थे, इस कारण उनको तुरंत बीकानेर जिले के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल यानी पीबीएम अस्पताल के लिए रेफर कर दिया गया। निजी अस्पताल के चिकित्सकों का कहना था कि नवजात बच्चों को स्कीन से जुड़ी एक गंभीर बीमारी है। जिनमें त्वचा पूरी तरह से विकसित नहीं हो पाती, कहीं घाव रहते हैं तो कहीं पर त्वचा इतनी सख्त हो जाती है कि अपने आप फटने लगती है। इस बीमार का असर सिर तक होता है और यही कारण है कि कई बार बच्चे बिना आंख के ही पैदा होते हैं। इस तरह के करीब पचास फीसदी से ज्यादा नवजात एक सप्ताह तक भी जीवित नहीं रह पाते। जो जीवित रह पाते हैं उनको जीवन भर स्कीन संबधी बीमारियों से संघर्ष करना होता है।
जिन दो बच्चों के ये बीमारी है, उनमें से एक के आंख नहीं है। आंख की जगह पूरी तरह से स्कीन ने कवर कर ली है। दोनो बच्चों की त्वचा काफी सख्त है। फिलहाल दोनो का इलाज किया जा रहा है। उधर बच्चों की हालत देखकर परिवार को समझ नहीं आ रहा है कि वे परिवार में आए नये मेहमानों के स्वागत की खुशी मनाएं या फिर अस्पतालों के चक्कर काटे। फिलहाल परिवार में शांति छाई हुई है। डॉक्टर्स की टीम बच्चों का इलाज कर रही है।