ट्रेंड डॉग की मदद से खोजबीन
जर्मन शेफर्ड और अब लैब्राडोर को इस तरह से भी ट्रेंड किया जा रहा है कि वह सीमा पर पांच-सात किलोमीटर एरिया में कोई मादक पदार्थ पड़ा हो तो उसका पता लगा सके। खोजबीन में यह डॉग बीएसएफ की मदद करेंगे। साथ ही यदि कोई स्थानीय व्यक्ति मादक पदार्थ के करियर के रूप में काम करेगा तो डॉग की मदद से उसकी पहचान की जा सकेगी।स्ट्रीट डॉग्स भी बॉर्डर पर जवान के साथी
केंद्र सरकार ने करीब ढाई साल पहले देश की सीमाओं पर बॉर्डर चौकियों में स्ट्रीट डॉग्स को प्रशिक्षण देकर काम में लेने के निर्देश दिए थे। बीएसएफ के तत्कालीन डीआइजी पुष्पेन्द्र सिंह राठौड़ इसे प्रदेश से लगती पश्चिमी सीमा पर अपनाया भी था। अकेले बीकानेर सेक्टर में 200 से अधिक भारतीय नस्ल के श्वानों को बीएसएफ की चौकियों में भेजे गए थे। ये श्वान आज भी बॉर्डर पर बीएसएफ के जवानों के साथ गश्त करते हैं। सेवानिवृत हो चुके राठौड़ ने बताया कि इन श्वानों पर कोई अतिरिक्त पैसा खर्च नहीं होता है। बीएसएफ मुख्यालय के निर्देश पर ही 60 से ज्यादा बॉर्डर ऑजर्वेशन पोस्ट पर स्ट्रीट डॉग्स तैनात किए हुए हैं।खेतों व जंगलों में मिल रही हेरोइन
पाकिस्तान से लगती प्रदेश की 1037 किमी सीमा पर बीएसएफ के श्रीगंगानगर और बीकानेर सेटर में सीमा पार पाक से तस्कर आकर हेरोइन की तस्करी कर रहे हैं। हेरोइन के पैकेट ड्रोन से तस्कर भारतीय सीमा में खेतों में गिरा देते हैं। बीएसएफ के जवान जीरो लाइन के पास चौबीस घंटे तैनात हैं, लेकिन इससे आगे गश्त ही करते हैं।वर्ष- हेरोइन
2022- 24.79 किलोग्राम
2023- 48.40 किलोग्राम
2024- 15.52 किलोग्राम