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बीकानेर

राजस्थान चुनाव 2023: रेगिस्तान में छाया धुंधलका, सियासत से कल छंटेगा कोहरा

सीमावर्ती बीकानेर संभाग में मतगणना से पहले जबरदस्त कोहरा छाया हुआ है। कई इलाकों में तो विजिबिलिटी शून्य के करीब है। ठीक ऐसी ही स्थिति मतदान के बाद से यहां सियासत की बनी हुई है।

बीकानेरDec 02, 2023 / 09:09 am

Nupur Sharma

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आशीष जोशी
Rajasthan Assembly Election 2023 : सीमावर्ती बीकानेर संभाग में मतगणना से पहले जबरदस्त कोहरा छाया हुआ है। कई इलाकों में तो विजिबिलिटी शून्य के करीब है। ठीक ऐसी ही स्थिति मतदान के बाद से यहां सियासत की बनी हुई है। प्रत्याशियों के अपने दावे और गणित हैं, लेकिन ट्रेंड भी यहां चौंकाने वाला ही रहा है। पिछले तीन चुनावों के मतदान प्रतिशत और परिणाम का बारीकी से आंकलन करने पर साफ है कि यह संभाग कभी किसी सेट पैटर्न पर नहीं चलता। यहां का मतदाता जितना मुखर है, उतना गहरा भी है। संभाग की कुल 24 सीटें हैं, लेकिन करणपुर के कांग्रेस प्रत्याशी के निधन के कारण 23 सीटों पर ही इस बार चुनाव हुए। यहां पहला मौका था जब हर दूसरी सीट पर त्रिकोणीय मुकाबले की स्थिति बनी। एक-दो जगह तो चतुष्कोणीय हालात बने हैं। मौजूदा कांग्रेस सरकार में संभाग से तीन मंत्री है। तीनों ही कड़े मुकाबले में फंसे हुए हैं।


इन 4 हॉट सीटों पर सभी की नजरें
1. बीकानेर पश्चिम : मतदान प्रतिशत लगभग वही, लेकिन हवा बदली हुई
यहां से मंत्री बी.डी. कल्ला दसवीं बार मैदान में उतरे। यह क्षेत्र परिणाम में हर बार चौंकाता है। यहां कोई ट्रेंड सेट नहीं है। वर्ष 2008 में 67.04 प्रतिशत मतदान हुआ तो भाजपा आई। फिर 2013 में 7 प्रतिशत बढ़कर वोटिंग 74.02 प्रतिशत हुई तो भी भाजपा ही रिपीट हुई। इसके बाद 2018 में वोटिंग डेढ़ फीसदी बढ़कर 75.79 प्रतिशत हुई तो यहां कांग्रेस जीती। इस बार 2023 के चुनाव में यहां 75.33 फीसदी मतदान हुआ है। यानी वोटिंग प्रतिशत में कोई बड़ा फेरबदल नहीं है, लेकिन हवा पूरी बदली हुई है। जो चौंकाने वाले परिणाम का संकेत दे रही है।

2. खाजूवाला : बढ़ी वोटिंग ने बढ़ाई धड़कनें
मंत्री गोविंदराम मेघवाल को चिरपरिचित प्रतिद्वंदी विश्वनाथ मेघवाल चुनौती दे रहे हैं। यहां 2013 में करीब 18 फीसदी मतदान बढ़ा तो भी भाजपा के डॉ. विश्वनाथ मेघवाल दुबारा विधायक बने। वर्ष 2013 में यहां 76.82 प्रतिशत मतदान हुआ। वर्ष 2008 में जब वे पहली बार जीते तब यहां 57.97 फीसदी वोटिंग हुई थी। इसके बाद 2018 में तीन प्रतिशत वोटिंग घटी और यहां कांग्रेस के गोविंदराम मेघवाल जीते। इस बार मतदान करीब एक फीसदी बढ़कर 74.41 प्रतिशत पर पहुंचा तो धड़कनें बढ़ी हुई हैं।

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3. कोलायत : मतदान प्रतिशत नहीं बदलने के निकाले जा रहे मायने
यहां 1980 से 2008 तक लगातार सात चुनाव जीतने वाले देवीसिंह भाटी को पहली बार जब 2013 में शिकस्त मिली, तब 10 फीसदी वोटिंग बढ़ी थी। इसके बाद 2018 में देवीसिंह की पुत्रवधु पूनम कंवर को मैदान में उतारा तो फिर तीन फीसदी वोटिंग बढ़ी और 78.89 प्रतिशत मतदान हुआ। लेकिन दोनों बार भाजपा को हार मिली और कांग्रेस के भंवरसिंह भाटी जीते। इस बार यहां 78.24 फीसदी मतदान हुआ है जो 2018 के लगभग बराबर है। वोटिंग में कोई बड़ा परिवर्तन नहीें है, दोनों ओर से हवा का रुख भांपने की कोशिशें लगातार चल रही हैं।

4. तारानगर: मतदान बढ़ने पर भाजपा के जीतने का रहा ट्रेंड
पिछले चार चुनावों का ट्रेंड देखें तो यहां मतदान प्रतिशत बढ़ना भाजपा व घटना कांग्रेस के लिए फायदेमंद रहा है। यहां 2003 में 74.82 फीसदी मतदान रहने पर कांग्रेस के डाॅ. चंद्रशेखर बैद विजयी रहे थे। इसके बाद 2008 के चुनाव में मतदान बढकऱ 77.43 फीसदी होने पर राजेंद्र राठौड़ ने बैद को हराया तो 2013 में मत प्रतिशत फिर बढकऱ 77.71 प्रतिशत पहुंचा तो फिर भाजपा के जयनारायण पूनिया ने बैद को हराया। वहीं, 2018 के चुनाव में मत प्रतिशत घटकर 75.15 प्रतिशत हुआ तो तारानगर में कांग्रेस के नरेंद्र बुडानिया जीते। इस बार भाजपा के राजेन्द्र राठौड़ ने यहां से चुनाव लड़ा और वोटिंग 82.30 प्रतिशत हुई है।


सियासत में प्रयोग के लिए ऊर्वरा भूमि है बीकानेर संभाग
बीकानेर संभाग सियासी दृष्टि से हमेशा ऊर्वरा रहा है। बीकानेर, श्रीगंगानगर, हनुमानगढ और चूरू जिलों में बीते चार विधानसभा चुनाव में जनता ने भाजपा-कांग्रेस के अलावा अन्य दलों और निर्दलीयों को भी खूब मौके दिए हैं। नए राजनीतिक प्रयोग हुए तो सफलता भी मिली। विधानसभा चुनावों में बीकानेर संभाग की 24 सीटों में प्रदेश में सरकार बनाने वाली पार्टी सबसे आगे रहती रही है। बीस सालों के राजनीतिक परिदृश्य पर नजर डालें तो बीकानेर संभाग में नई बनी जमींदारा पार्टी पहले ही चुनाव में दो सीटें लेने में कामयाब रही थी। सामाजिक न्याय मंच ने भी खाता खोलने में कामयाबी हासिल की थी। माकपा और थर्ड फ्रंट के दलों को भी यहां सीटें मिलती रही हैं।


पिछले चार विधानसभा चुनावों का ट्रेंड
विधानसभा चुनाव 2003
कुल सीट- 22
भाजपा- 10
कांग्रेस- 07
अन्य- 05
(प्रदेश में सरकार भाजपा की बनी)
सरप्राइजिंग फैक्टर: श्रीगंगानगर जिले की पांचों सीटों पर भाजपा ने जीत दर्ज की। हरियाणा की पार्टी इंडियन नेशनल लोकदल ने नोहर सीट अपने कब्जे में ली। देवीसिंह भाटी के सामाजिक न्याय मंच ने कोलायत सीट पर जीत दर्ज की। तीन निर्दलीय समेत पांच सीटें अन्य के खाते में गई।

विस चुनाव 2008
कुल सीट- 24
भाजपा- 10
कांग्रेस- 10
अन्य- 04
(प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी)
सरप्राइजिंग फैक्टर: किसान आंदोलन के बाद पहले चुनाव में माकपा ने खाता खोला। दोनों दल बराबर सीटें लेने में कामयाब रहे। कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए राधेश्याम गंगानगर चुनाव जीतने में कामयाब रहे। कांग्रेस से बागी होकर गुरमीत कुन्नर ने निर्दलीय चुनाव लड़ा और जीतकर सरकार में मंत्री बने।

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विस चुनाव 2013
कुल सीट- 24
भाजपा- 18
कांग्रेस- 03
अन्य- 03
(प्रदेश में सरकार भाजपा की बनी)
सरप्राइजिंग फैक्टर: नई बनी जमींदारा पार्टी ने श्रीगंगानगर जिले में दो सीटें जीती। हनुमानगढ़ जिले में कांग्रेस का खाता भी नहीं खुला। सादुलपुर में बीएसपी ने जीत दर्ज की। राजेन्द्र राठौड़ ने तारानगर की जगह चूरू से चुनाव लड़ा और जीते।


विस चुनाव 2018
कुल सीट- 24
भाजपा- 10
कांग्रेस- 11
अन्य- 03
(प्रदेश में सरकार कांग्रेस की बनी)
सरप्राइजिंग फैक्टर: नेता प्रतिपक्ष रामेश्वर डूडी चुनाव हार गए। लगातार दो चुनाव हारने के बाद बीडी कल्ला बीकानेर पश्चिम से चुनाव जीत गए। श्रीडूंगरगढ़ सीट पर माकपा ने जीत दर्ज की।

https://youtu.be/Iuu4YjPyeQQ

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