एडीपी के तहत छात्र ग्रेजुएशन की डिग्री जल्दी पूरी कर सकते है जबकि ईडीपी के तहत अधिक समय लेकर पढ़ाई पूरी कर सकते हैं। यूजीसी के अध्यक्ष जगदीश कुमार ने इस नई व्यवस्था को मंजूरी देने की घोषणा कर दी है। यूजीसी ने छात्रों को पढ़ाई में ज्यादा लचीलापन देने की बात कही है। इसके तहत चाहे ढाई-तीन साल में डिग्री पूरी करें या तीन-चार साल में, दोनों डिग्री की मान्यता बराबर होगी।
शिक्षाविदों का कहना है कि इस निर्णय से भारत की डिग्री भी वर्ल्ड क्लास मापदंडों की तरह बनने की ओर बढ़ेगी। यूएसए और यूरोपियन समेत कई देशों में ग्रेजुएशन की ऐसी व्यवस्था चल रही है। देश में अभी एक तरफा पढ़ाई व्यवस्था चल रही थी। पहली बार यूजीसी ने विद्यार्थी की क्षमता के अनुरूप बनाने का प्रयास किया है।
एडीपी और ईडीपी में यह होगा
– एडीपी उन छात्रों के लिए है जो तेजी से अपनी पढ़ाई पूरी करना चाहते है। छात्र हर सेमेस्टर में ज्यादा क्रेडिट हासिल कर सकते है। इस विकल्प से अपनी डिग्री की पढ़ाई को जल्दी पूरी कर सकते है। – ईडीपी उन छात्रों के लिए है जिन्हें पढ़ाई के लिए ज्यादा समय चाहिए। वे हर सेमेस्टर में कम क्रेडिट हासिल कर सकते है और डिग्री का समय बढ़ा सकते है। तीन या चार साल की डिग्री के समय को अधिकतम दो सेमेस्टर यानि एक साल तक बढ़ाने का विकल्प मिलेगा।
– डिग्री पर लिखा जाएगा कि इसे कितने समय में की गई है। चाहे आप डिग्री जल्दी पूरी करें या ज्यादा समय लेंवे, दोनों की मान्यता बराबर होगी।
– डिग्री पर लिखा जाएगा कि इसे कितने समय में की गई है। चाहे आप डिग्री जल्दी पूरी करें या ज्यादा समय लेंवे, दोनों की मान्यता बराबर होगी।
जानिए कैसे यह सिस्टम काम करेगा
– छात्र पहले या दूसरे सेमेस्टर के अंत में एडीपी या ईडीपी के विकल्प को चुन सकते है। – एडीपी में छात्र दूसरे या तीसरे सेमेस्टर से अतिरिक्त क्रेडिट लेना शुरू कर सकते है।– ईडीपी में शामिल होने वाले छात्र हर सेमेस्टर में कम क्रेडिट ले सकते है।
– यूनिवर्सिटी या हायर एज्युकेशन इंस्टीट्यूट एक समिति का गठन करेगी।
– यह समिति एडीपी या ईडीपी के तहत छात्रों के प्रार्थना पत्र का विश्लेषण करेगी।
-सिलेबस और क्रेडिट फ्रेम वर्क में तय किया जाएगा। यह होगा फायदा – इससे पढ़ाई का तनाव कम होगा। डिग्री करने को लेकर समय की पाबंदी नहीं रहेगी।
-सिलेबस और क्रेडिट फ्रेम वर्क में तय किया जाएगा। यह होगा फायदा – इससे पढ़ाई का तनाव कम होगा। डिग्री करने को लेकर समय की पाबंदी नहीं रहेगी।
– पढ़ाई के साथ जॉब व इंटर्नशिप या पर्सनल स्किल्स को भी समय दे सकेंगे।
– कुछ समय जल्दी डिग्री पूरी कर आगे की पढ़ाई शुरू कर सकेंगे। – दुनियाभर में भारतीय डिग्री की माध्यता बढ़ेगी।
– कुछ समय जल्दी डिग्री पूरी कर आगे की पढ़ाई शुरू कर सकेंगे। – दुनियाभर में भारतीय डिग्री की माध्यता बढ़ेगी।
कुछ चुनौतियां भी साथ
यह सुनने में अच्छा लग रहा है कि लेकिन, इसके लिए क्रेडिट सिस्टम विद्यार्थी और शिक्षक के आधार पर बना हुआ है। खासकर प्रेक्टिकल विषय एक साथ करने की व्यवस्था बनानी होगी। शिक्षण संस्थानों में पढ़ाई की व्यवस्था अभी तय समय के अनुसार ही बनी हुई है। टाइम घटाने और बढ़ाने के अनुसार शिक्षण व्यवस्था को बनाने के लिए कई तरह के बदलाव और संसाधनों को बढ़ाने होंगे। व्याख्याताओं को भी इसके अनुसार ढालना होगा।
विद्यार्थी को बड़ा फायदा
हायर एजुकेशन में नवाचार की भरपूर संभावना है। यूजीसी के स्तर पर इस पर काम चल रहा है। विद्यार्थी को इस व्यवस्था से बड़ा फायदा मिलेगा। यह ग्लोबल सिनेरियो है। जो विद्यार्थी दूसरे देशों में पढ़ने जाते है, उन्हें मदद मिलेगी। दुनिया के कई देशों में ऐसी व्यवस्था सालों से चल रही है। हमारे देश में इसे बनाने में समय लगेगा।
– धर्मेश हरवानी, एमजीएसयू विश्वविद्यालय बीकानेर