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बीकानेर

शुरू होने से पहले गड़बड़ा गई मोबाइल पशु चिकित्सा योजना

ना दवा ना हेल्पलाइन नंबर: नियमों की अनदेखी से कार्मिक हड़ताल पर, पशुपालकों में रोष व्याप्त

बीकानेरApr 13, 2024 / 01:11 am

Hari

शुरू होने से पहले गड़बड़ा गई मोबाइल पशु चिकित्सा योजना

शुरू होने से पहले गड़बड़ा गई मोबाइल पशु चिकित्सा योजना

बज्जू. राज्य सरकार की ओर से खुशहाल पशुपालक समृद्ध राजस्थान की थीम को लेकर शुरू की गई मोबाइल पशु चिकित्सा योजना शुरू होने के साथ ही ठप हो गई है। मजेदार बात यह है कि इस योजना में पिछले दिनों तक वैन में दवा तक नहीं थी। अब कुछ आधी अधूरी दवाइयां आई, तो कार्मिकों ने हड़ताल शुरू कर दी। इससे पशुपालक ठगा सा महसूस कर रहे हैं।

मोबाइल सेवा बस नाम ही की है। हेल्पलाइन नंबर तक जारी नहीं हुए है। योजना के संचालन का ठेका एक निजी कंपनी को ठेका दिया गया था, लेकिन मोबाइल वैन में लगे पशु चिकित्साकर्मियों व टीम को वेतन, कार्यग्रहण आदेश सहित अन्य समस्याओं के आने पर जिले सहित प्रदेशभर में ये कार्मिक हड़ताल पर चले गए हैं। ऐसे में जिले में मोबाइल पशु चिकित्सा वैन के पहिए थम गए हैं।

जानकारी के अनुसार राज्य सरकार ने केंद्र की योजना को लागू करते हुए राज्य में मोबाइल पशु चिकित्सा योजना शुरू की। योजना के तहत वैन में एक-एक पशु चिकित्सक, पशुधन सहायक व पशु परिचर कम ड्राइवर को लगाया गया। इनका वेतन क्रमश: 56100, 20000 और 18000 रुपए निर्धारित किया गया। इस योजना में राज्य सरकार ने बीकानेर जिले को 26 वैन उपलब्ध करवाई गई। इसमें से 24 वैन ही संचालित हो रही थी। उसमें भी पशु चिकित्सक व अन्य कार्मिक मांगों को लेकर शनिवार से हड़ताल पर चले गए। बज्जू उपखंड में भी 2 वैन मिलनी थी, जिसमें बज्जू की सेवा शुरू हो गई थी, लेकिन बरसलपुर में सेवा शुरू नहीं हो पाई।

नियमों की अनदेखी
जानकारी के अनुसार मोबाइल वेटरनरी यूनिट योजना में संबंधित कंपनी की ओर से नियमों की पालना नहीं की जा रही थी। वैन में सभी दवाइयां भी उपलब्ध नहीं करवाई गई और आपातकाल में दवाइयों के लिए चिकित्सकों को इधर उधर भटकना पड़ता है। केंद्र सरकार की ओर से निर्धारित किए वेतन से भी कम वेतन देने की बात कंपनी की ओर से कही जा रही है। इसको लेकर भी कार्मिकों में रोष है।

दवा भी उपलब्ध नहीं
इस योजना का लाभ अब तक पशुपालकों को नहीं मिल रहा है। इस वैन को शुरू हुए करीब 40 दिन हो गए है, लेकिन अब तक दवाएं नहीं उपलब्ध हो पाई थी। हेल्प लाइन नंबर तक जारी नही हुए, जिससे वैन का कोई फायदा आमजन को नहीं मिल पा रहा था। हालंकि वैन पर नंबर जरूर लिखे है, लेकिन सेवाएं शुरू नहीं की हुई है। पिछले दिनों तक वैन प्रतिदिन दो गांवों में पहुंचती थी। वहां दवाएं नहीं होने से टीम को खरी खरी सुननी पड़ती थी। अब कुछ दिन पहले कुछ दवाएं आई है तो वैन की टीम हड़ताल पर चली गई हैं।

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