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बीकानेर

धूल, धुआं और धमाके…, हमारी फायर पावर से ‘शत्रुनाश’

– महाजन फील्ड फायरिंग रेंज के धोरों में थल और वायु सेना का संयुक्त अभ्यास
 
 

बीकानेरNov 22, 2022 / 09:24 am

Ashish Joshi

धूल, धुआं और धमाके..., हमारी फायर पावर से 'शत्रुनाश'

धूल, धुआं और धमाके…, हमारी फायर पावर से ‘शत्रुनाश’

महाजन फील्ड फायरिंग रेंज से दिनेश कुमार स्वामी

 

रेतीले धोरों के दुर्गम इलाके में छिपे दुश्मन पर भारतीय सेना और वायु सेना संयुक्त रूप से फाइटर प्लेन, हैलीकॉप्टर, टैंक, आर्टीलरी गन और मिसाइल से हमला करती है, तो पश्चिमी रेगिस्तान धमाकों से थर्रा उठता है। धूल और धुएं का गुबार, धमाकों की आवाज और आग उगलते टैंकों का नजारा देखने वालों के रोंगटे खड़े कर देता है। भारतीय थल सेना और वायु सेना अपनी फायर पॉवर के बलबूते कुछ ही देर में दुश्मन का Òशत्रुनाशÓ (नेस्तनाबूत) कर डालती है। यह नजारा सोमवार को महाजन फील्ड फायरिंग रेंज में भारतीय सेना की दक्षिण-पश्चिम कमान के युद्धाभ्यास शत्रुनाश-2022 में दिखा। इसमें जमीनी और हवाई दस्तों के इस्तेमाल से सेना किस तरह युद्ध के मैदान में दुश्मन के ठिकानों का पता लगाकर उस पर हमला बोलती है, इसका जीवंत प्रदर्शन किया गया।

सीन-एक…सर्विलांस और टोही ताकत

धोरों में बनाए दुश्मन के सांकेतिक ठिकाने फसादेवाला का सेना सर्विलांस, थर्मल इमेजर, बैटल फील्ड रडार आदि का उपयोग कर पता लगाती है। इसके बाद सेना के दो टोही हेलीकॉप्टर ध्रुव पूरे क्षेत्र का नजदीक से मुआयना करते हैं। फिर दो लाइट कॉम्बैट (एलसीएच) हेलीकॉप्टर अपनी भार उठाने और अटैक करने की ताकत को दर्शाता जाल में लिपटी दो जिप्सी को आसमान से जमीन पर छोड़कर जाते हैं। इस दौरान दुश्मन को आभास भी नहीं होने देते कि सेना के कॉम्बिट व्हीकल जिप्सी पहुंच चुकी है।

सीन-दो… धमाकों के साथ युद्ध की रणभेरी

दुश्मन के ठिकाने का सटीक पता लगाने के बाद वायुसेना के सुखाई विमान आसमान से दो बम गिराते हैं। इनके धमाकों से रेगिस्तान थर्रा उठता है। धूल का गुबार छंटता, इससे पहले दुनिया का बेहतरीन अटैक करने वाले दो अपाचे हेलीकॉप्टर आते हैं। टारगेट पर अपनी फायर ताकत का प्रदर्शन करते हुए गोले दागते हैं। फिर बारी आती है हेलीकॉप्टर रुद्र के रौद्र रूप दिखाने की। यह आसमान में एक जगह खड़ा रह कर दुश्मन पर फायर करता है। मिसाइल दागे जाते हैं।

सीन-तीन…12 सेकंड में 40 राउंड फायर

इसके बाद भारतीय सेना दुश्मन पर रूस निर्मित अपनी ग्रेट बीएम-21 मल्टी राकेट लॉंन्चर सिस्टम को युद्ध में उतारती है। अब इसका उत्पादन मेक इन इंडिया के तहत भारत में शुरू किया गया है। इस हथियार से 12 सेकेंड में 40 राउंड एक साथ फायर किए जाते हैं, जिससे दुश्मन के 600 गुणा 600 मीटर एरिया में बारूद की आग तांडव मचा देती है। दूर धोरों में दुश्मन के टारगेट एरिया में आग, धुआं और धूल का गुबार उठता नजर आता है।

सीन-चार…धोरों से निकले टैंक और दागे गोले

रण क्षेत्र में सेना के सबसे मजबूत हथियार टैंक उतरते हैं। चारों तरफ से कई टैंक गोले दागते आगे बढ़ते हैं। इनमें टैंक टी-72, टी-90, भीष्म और भारत निर्मित टैंक के बेस पर लगी वज्र के-9 आर्टिलरी गन से लगातार दुश्मन पर बारूद की बौछार की जाती है। दुश्मन को टैंक की सटीक लोकेशन का पता नहीं चले, इसके लिए स्मोक छोड़कर धुआं ही धुआं करते चलते हैं। दस से ज्यादा टैंक धोरों में चलते हैं, तो उनकी मदद के लिए साथ में बीएमपी-2 के और स्वदेशी सारंग गन कवर देती है।

सीन-पांच…ड्रोन को सर्विलांस कर मार गिराया

इसी बीच दुश्मन के टोही ड्रोन आसमान में मंडराते नजर आते हैं। भारतीय सेना का एयर डिफेंस सिस्टम अपना काम शुरू कर देता है। यह ड्रोन को ट्रैक करते हैं और स्वदेशी अपग्रेड एल-70 एयर डिफेंस गन के फायर से दोनों ड्रोन के आसमान में परखचे उड़ा देते हैं। असल में हाल ही में रूस-यूक्रेन युद्ध में ड्रोन की महत्ता और बदले युद्ध के तौर तरीके देखने को मिले हैं। जिससे सीख लेकर भारतीय सेना ने ड्रोन को युद्धाभ्यास में महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में काम लिया है।

सीन-छह…थल सेना का अंतिम प्रहार और शत्रुनाश

इसी बीच युद्ध निर्णायक दौर में पहुंचता है। चारों तरफ से घिरा और जमीन तथा हवा से बरस रहे गोले और फायर से दुश्मन सेना भाग निकलने की जुगत लड़ाती है। परन्तु हेलीकॉप्टरों से डिप्लोयड जिप्सी, थल सैनिक और टैंक दुश्मन पर टूट पड़ते हैं। मिसाइलों से प्रहार किया जाता है। इस तरह भारतीय सेना दुश्मन के टारगेट एरिया को फतेह कर लेती है। यह पूरा ऑपरेशन तीन घंटे में पूरा किया गया।

इंटीग्रेटड सफल प्रशिक्षण

हमारी क्षमता और ट्रेनिंग के स्तर का ऐसे अभ्यासों से पता चलता है। एयरफोर्स और थल सेना मिलकर युद्ध में काम करें, इस पर फोकस किया गया है। आर्मी में आर्म्ड, आर्टिलरी, मेक, मैकेनाइज्ड इंफैन्ट्री आदि ने मिलकर अभ्यास में भाग लिया है। भारत निर्मित हथियार किस तरह काम करते हैं। स्वदेशी साजो सामान से सेना का आधुनीकरण हो रहा है। इसी के साथ नई टेक्नोलॉजी का प्रशिक्षण प्राप्त कर ऑपरेट करने में सैनिक सक्षम बने हैं।

– एएस भिंडर, जनरल ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ, सप्त शक्ति कमान

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