चन्द्रमा को अघ्र्य, कजली पूजन
व्रतधारी महिलाओं व बालिकाओं ने रात को चन्द्रमा के उदय होने के बाद घरों की छतों पर सामूहिक रूप से चन्द्रमा के दर्शन किए। चन्द्रमा को अघ्र्य देकर पूजन किया। घरों के प्रांगण और गली-मोहल्लों में दीवारों पर कजली माता की अनुकृति चित्रित कर पूजन किया। मिट्टी से पालुण्डी बनाकर उसमें जल भरा। नवविवाहिताओं ने गठजोडे़ के साथ कजली माता के धोक लगाई। महिलाओं ने सामूहिक रूप से कथा सुनी।
सत्तू चखकर पारणा, आक के पत्तों पर भोजन
बड़ी तीज की परम्परा अनुसार तीज के व्रत का पारणा सत्तू चखकर किया। इसके बाद विभिन्न व्यंजनों का भोजन किया। इस दौरान किसी धातु की थाली अथवा प्लेट के स्थान पर आक के पत्तों पर भोजन रखकर ग्रहण किया।
घर-घर में रौनक, बाजारों में खरीदारी
बड़ी तीज पर्व पर घर-घर में विशेष रौनक रही। कई घरों में सामूहिक रूप से नाच-गान कर तीज का उत्सव मनाया। वहीं बाजारों में विभिन्न प्रकार के फल, मिठाईयां, सजने-संवरने की सामग्री सहित दही, दूध, आक के पत्ते, पुष्पमालाएं, पान, खाटा-सुपारी, सुहाग सामग्री आदि की खरीदारी चलती रही।
आछरी देने का चला सिलसिला
तीज पर बहन-बेटियों के ससुराल आछरी भेजने की परम्परा का निर्वहन हुआ। महिलाओं ने आछरी में मिठाईयां, सत्तू, सुहाग सामग्री, धोती, विभिन्न प्रकार के फल, आक के पत्ते, इत्र, पान, नारियल, सोने-चांदी के आभूषण सहित अपनी मन पसंद की विभिन्न प्रकार की वस्तुए आछरी के रूप में दी। वहीं बहन-बेटियों के ससुराल में सिग व सत्तू भेजे गए।
झूला-झूलने की निभाई रस्म
बडी तीज का व्रत रखने वाली महिलाओं व बालिकाओं ने बुधवार सुबह पारम्परिक वस्त्र और आभूषणों से सज धज कर घरों के आस पास स्थित बाग-बगीचो, मंदिरों, बगीचीयों, इमारतों में पहुंची, जहां झूले डाले गए। झूला झूलने के दौरान माहौल उल्लासपूर्ण बना रहा।