मशीन माइक्रो कंट्रोलर की सहायता से संचालित होती है। जैसे ही वोटर अपनी अंगुली को मशीन पर रखेगा, मशीन अपने पास सेव डाटा से उसका मिलान करेगी। इससे पता चल जाएगा कि वोटर सही है या नहीं। मशीन से सत्यापन के साथ ही अंगुली पर ऑटोमेटिक इंक मार्क लग जाएगा। अगर कोई दोबारा वोट डालेगा तो मशीन पर अंगुली रखते ही अलार्म बजेगा।
एक मशीन को तैयार करने पर करीब 4 हजार रुपए की लागत आई है। अंगुली के साथ-साथ मशीन को फेस से भी जोड़ा जाएगा। मशीन को आधार डाटा से लिंक करने पर फर्जी वोट रोके जा सकेंगे। प्रो. प्रशांत जोशी ने बताया कि मतदान के दौरान महिलाओं को चेहरा दिखाने, मिलते-जुलते हुलिया और नाम जैसी समस्या सामने आई। इसके समाधान के लिए ही यह मशीन तैयार की गई है। इससे अमिट स्याही भी बचेगी।
ऐसे आया मशीन का आइडिया
पॉलिटेक्निक कॉलेज के व्याख्याताओं की चुनाव ड्यूटी वाली ट्रेनिंग के दौरान फर्जी मतदाताओं की पहचान का आइडिया आया। प्रोफेसरों ने विद्यार्थियों के साथ आइडिया साझा किया और काम शुरू कर दिया। आखिरकार मशीन तैयार हो गई। अभी इसे और कारगर बनाने पर काम चल रहा है। साथ ही पेटेंट कराने के लिए आवेदन की प्रकिया भी शुरू कर दी गई है।दो छात्रों ने मिल कर किया काम
राजकीय पॉलिटेक्निक कॉलेज के छात्र गौरव मोदी ने जूनियर छात्र देवेन्द्र यादव के साथ मिलकर मैकेनिकल विभाग के प्रोफेसर डॉ. वाई बी माथुर और इलेक्ट्रॉनिक्स के प्रोफेसर प्रशांत जोशी के मार्गदर्शन में यह प्रोजेक्ट तैयार किया।अपग्रेडेशन पर कर रहे हैं काम
कॉलेज आइआइसी टीम की ओर से यह प्रोजेक्ट तैयार किया गया है। इसे अपग्रेडेशन कर ऑफ लाइन डाटा सेव करने की जगह ऑनलाइन सत्यापन की योजना पर भी कार्य किया जा रहा है।-बाबूलाल, विभागाध्यक्ष इलेक्ट्रॉनिक्स विभाग