बीकानेर

तैयार होने लगे घेवर-फीणी, खुशबू की महक और चख रहे स्वाद

शहर के गली-मोहल्लों और चौक-चौराहे तथा बाजार घेवर-फीणी की खुशबू से महकने लग गए है। सर्दी की दस्तक के साथ ही स्थायी और अस्थायी दुकानों पर इनके बनने और लोगों की ओर से इनका स्वाद चखने का क्रम प्रारंभ हो गया है। शहर में मकर संक्रांति के अवसर पर बहन-बेटियों के ससुराल घेवर-फीणी भेजने की परंपरा है। लोग घेवर-फीणी का दान-पुण्य भी करते है। कई आकार के साथ चासनी लगे, रबड़ी घेवर और नमकीन घेवर की बिक्री का क्रम प्रारंभ हो गया है।

बीकानेरDec 16, 2024 / 09:26 pm

Vimal

बीकानेर. सर्दी की दस्तक के साथ ही शहर घेवर और फीणी की खशबू से महकने लग गई है। स्थायी दुकानों के साथ-साथ घेवर-फीणी की अस्थाई दुकानें लग चुकी है। मकर संक्रांति पर घेवर-फीणी की विशेष मांग रहती है। वहीं सर्दी से बचाव के लिए भी लोग इसका सेवन करते है। स्वाद के अनुसार लोग चीनी की चासनी लगे घेवर के साथ रबड़ी घेवर और नमकीन घेवर का उपयोग भोजन-नाश्ते में भी करते है। विशेष मांग पर नमकीन घेवर काली मिर्च, नमक, जावत्री, जायफल आदि से बनाए जा रहे है।
रबड़ी घेवर विशेष पसंद

चीनी की चासनी लगे घेवर के साथ रबड़ी लगे घेवर भी लोगों को अधिक पसंद आते है। बाजारों में रबड़ी घेवर की विशेष मांग बनी रहती है। घर-परिवार, पाटो, बगीचीयों, मंदिरों और मित्र मंडलियों की होने वाली सर्दी गोठ में रबड़ी घेवर की विशेष डिमांड रहती है। चार इंच से लेकर 12 इंच तक के रबड़ी घेवर की विशेष बिक्री होती है।
इनसे बनते हैं घेवर

घेवर गोल आकार के बनते है। इनको बनाने की विशेष विधि है। मैदा, दूध, घी से इनको तैयार किया जाता है। विशेष आकार की कडाही व सांचो से बड़े व छोटे आकार के घेवर तैयार किए जाते है। घेवर के ऊपर चीनी से बनी चासनी और रबड़ी लगाई जाती है। घेवर विभिन्न आकार के बनाए जाते है।
दान-पुण्य का विशेष महत्व

शहर में मकर संक्रांति के अवसर पर बहन-बेटियों के घेवर -फीणी भेजने की विशेष परंपरा है। श्रद्धालु लोग मलमास में तिल, गुड से बनी खाद्य वस्तुओं के साथ-साथ घेवर-फीणी का भी दान-पुण्य करते है। बहन बेटियों के ससुराल 5,7,9,11,21 की संख्या में घेवर भेजे जाते है।

संबंधित विषय:

Hindi News / Bikaner / तैयार होने लगे घेवर-फीणी, खुशबू की महक और चख रहे स्वाद

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.