script135 साल प्राचीन गणगौर के दर्शन के लिए उमड़े श्रद्धालु, देखें तस्वीरें | Patrika News
बीकानेर

135 साल प्राचीन गणगौर के दर्शन के लिए उमड़े श्रद्धालु, देखें तस्वीरें

दो दिवसीय बारहमासा उत्सव

बीकानेरMar 28, 2018 / 09:39 am

अनुश्री जोशी

gangaur
1/6

प्राचीन कला और संस्कृति से जुड़े बीकानेर शहर में गणगौर का पर्व 34 चलता है। यहां पर मंगलवार को शुरू हुए दो दिवसीय गणगौर उत्सव में गवर-ईसर के साथ भगवान गणेश, श्रीकृष्ण और गुर्जरनी की प्रतिमाएं दर्शन के लिए रखी जाती है। इस तरह की अनूठी, अद्भूत और प्राचीन गणगौर प्रतिमा देशभर में और कहीं भी देखने को नहीं मिलती। बीकानेर के बारह गुवाड़ चौक में बारहमासा गणगौर पूजन में दर्शनार्थ रखी गई आलूजी छंगाणी की इन प्राचीन गणगौर प्रतिमाओं को देखने बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे।

gangaur
2/6

दर्शनार्थियों ने बताया कि प्रतिमाएं न केवल अद्भुत है, बल्कि इनकी बनावट व स्वरूप विशिष्ट है। सामान्यत गणगौर पूजन में गवर और ईसर ही होते है लेकिन, यहां गवर-ईसर स्वरूप में चतुर्भुज एकदंती गणेश, चतुर्भुज मुरली बजाते भगवान श्रीकृष्ण और कलश धारण किए गुर्जरनी के स्वरूप भी हैं। बुधवार तक प्रतिमाएं दर्शनार्थ रखी जाएगी। इसमें गणगौर गीत और नृत्यों की प्रस्तुतियां भी चल रही है।

gangaur
3/6

आलूजी के वंशज ईसर महाराज बताते है कि ये प्रतिमाएं किसी लकड़ी से न बनाकर मिट्टी-कुट्टी से बनाई हुई है। जो करीब 135 साल प्राचीन है। इनमें चिकनी मिट्टी सहित कागज की लुगदी का उपयोग किया गया है। ये सामान्य गणगौर प्रतिमाओं की अपेक्षा अधिक भारी और रंग चटकीले है।श्याम और लाल रंग प्राचीन प्रतिमाओं में भगवान कृष्ण की श्याम रंग, भगवान गणेश की लाल रंग व गुर्जरनी सामान्य रंग की आभा बिखेरती है। सभी प्रतिमाएं एक ही आकार की बनी है। खास बात यह है कि प्रतिमाएं सिर से पांव तक नहीं होकर केवल नाभि तक की है। कलात्मक और प्राचीन आभूषण पहनाए हुए है।

gangaur
4/6

गणगौर पूजन के क्रम में मंगलवार से दो दिवसीय बारहमासा गणगौर पूजन उत्सव शुरू हुआ। गणगौर प्रतिमाओं की सवारी निकाली गई व कुओं पर पारम्परिक रूप से पानी पिलाने की रस्म का निर्वहन किया गया। घर-घर व गली, मोहल्लों, चौक, चौराहों पर गणगौर प्रतिमाओं को विराजित कर उनका पूजन किया गया। महिलाओं-बालिकाओं ने नृत्य कर उत्सव की खुशी मनाई।

gangaur
5/6

बारहमासा गणगौर पूजन की पूर्णाहुति करने वाली महिलाओं ने गणगौर की सवारी निकाली व खोळा भराई की रस्म निभाई। पुरुष मण्डलियों की ओर से गणगौर प्रतिमाओं के आगे 'गढऩ कोटा सूं गवरल उतरी', 'छोड गवरल ईसर रो दुपट्टो', 'म्हारी चांद गवरजा' तथा 'पागडल्या रा पेच ईसरजी ढ़ीला-ढ़ीला लागै' आदि पारम्परिक गणगौर गीतों का गायन किया गया।

gangaur
6/6

बारहमासा गणगौर पूजन के अवसर पर मंगलवार को शहर में जगह-जगह गणगौर प्रतिमाओं का पूजन किया गया। इस दौरान महिलाओं ने गणगौर प्रतिमाओं को पानी पिलाने, धोती ओढ़ाने सहित पताशा, दमेदा, मिठाईयां, फल, श्रीफल, नकद राशि व सुहाग सामग्री से खोळा भरने की रस्म का निर्वहन किया।

Hindi News / Photo Gallery / Bikaner / 135 साल प्राचीन गणगौर के दर्शन के लिए उमड़े श्रद्धालु, देखें तस्वीरें

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.