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बीकानेर

नोखा मोठ मंडी के किसानों व पल्लेदारों को पड़े दाल-रोटी के लाले, रसोई घर पर तीन माह से लटका ताला

बाहर जाकर खाना खाने को मजबूर है। योजना का कोई लाभ नहीं मिल रहा है।

बीकानेरJul 25, 2024 / 01:09 am

Hari

नोखा की कृ​षि उपज मंडी में किसान कलेवा योजना के रसोई घर पर लटका ताला।

किसान कलेवा योजना पर ब्रेक लगने से सस्ता खाना मिलना बंद, जिम्मेदार बोले-इसका दो बार टेंडर कर दिया, लेकिन कोई ठेकेदार रुचि नहीं ले रहा

सरकार ने कृषि मंडी परिसर में आने वाले किसानों, पल्लेदारों और कार्यरत कर्मचारियों के लिए किसान कलेवा योजना की शुरू की थी, लेकिन नोखा मोठ मंडी में इस योजना पर तीन माह से ब्रेक लगा है। कृषि उपज मंडी में किसान कलेवा योजना के लिए बने रसोई घर पर ताला लटका हुआ है। ऐसे में किसान व पल्लेदार मंडी में दुकानों पर कचौड़ी-समौसा खाकर काम चला रहे हैं। कुछ लोग बाहर जाकर खाना खाने को मजबूर है। उनको इस योजना का कोई लाभ नहीं मिल रहा है।
किसान कलेवा योजना में किसानों के लिए सस्ते एवं पौष्टिक खाने की व्यवस्था का प्रावधान है, लेकिन नोखा मंडी में जिम्मेदार इसको गंभीरता से नहीं ले रहे है। पहले जिस फर्म को टेंडर दिया गया, वह ठेकेदार इसे ठीक से संचालित नहीं कर पाया। उसने दूसरे व्यक्ति को इसका ठेका दे दिया, उसने कुछ दिन तो काम किया। बाद में उसका भुगतान अटका, तो उसने भी इसे बंद कर दिया। इस तरह करीब तीन माह से रसोई घर पर ताला लटका हुआ है। 30 जून को पुरानी फर्म का टेंडर समाप्त हो गया है। अब इसे फिर से चालू करने के लिए दो बार टेंडर निकाल दिए है, लेकिन इस रसोई को संचालित करने में कोई रुचि नहीं दिखा रहा है। जिम्मेदार फिर से टेंडर निकालने की बात कह रहे है। इस रसोई घर के चालू नहीं होने से मंडी में फसल लेकर आने वाले किसान और पल्लेदार बाहर जाकर खाना खाने को मजबूर है।
किसान कलेवा योजना में पांच रुपए में मिलता खाना

राज्य की विशिष्ट श्रेणी की मंडियों में किसानों व मजदूरों को सस्ता एवं पौष्टिक खाना उपलब्ध कराने के लिए सरकार ने किसान कलेवा योजना शुरू की थी। इसमें मंडी में आने वाले किसान, उसके सहायक और मंडी पल्लेदारों को कूपन के माध्यम से रियायती दर पर खाना उपलब्ध कराया जाना शामिल था। इस योजना में भोजन थाली के 40 रुपए निर्धारित है, इसमें 5 रुपए किसान व पल्लेदार से लिए जाते हैं और शेष राशि समिति द्वारा वहन की जाती है। योजना के तहत थाली में दाल-चपाती, गुड़, सब्जी एवं छाछ शामिल हैं।
मोठ मंडी में 250 से अधिक पल्लेदार

जानकारी के अनुसार नोखा कृषि उपज मंडी में करीब 250 से अधिक पल्लेदार हैं। इसमें 120 पंजीकृत पल्लेदार शामिल हैं। मंडी में सीजन के समय पल्लेदारों की संख्या 500 तक पहुंच जाती है। वहीं नोखा कृषि मंडी एशिया की सबसे बड़ी मोठ मंडी के नाम से प्रसिद्ध है। यहां आस-पास के गांवों से ही नहीं वरन दूसरे जिलों से भी किसान अपनी फसल बेचने के लिए आते हैं। मूंगफली सीजन के समय तो मंडी में पैर रखने की जगह नहीं होती है। किसान कलेवा योजना का रसोई घर भी बंद पड़ा है, इससे किसानों व मजदूरों को परेशानी हो रही है।
इनका कहना है

मंडी में मजदूरी कर परिवार का पेट पालते है। मंडी में पहले पांच रुपए में खाना मिलता था। अब काफी समय से रसोई घर बंद होने से खाना नहीं मिलता है। भूख लगने पर कचौरी-समौसा या फिर नमकीन खाकर काम चलाना पड़ता है।
-दामोदर, पल्लेदार कृषि उपज मंडी नोखा।

वह बिहार का रहने वाला है, यहां मंडी में मजूदरी करने आया है। पहले मंडी में पांच रुपए में खाना मिलता था। अब कई दिनों से रसोईघर बंद है। ऐसे में बाहर जाकर खाना खाने में होटल पर पैसे ज्यादा लगते है।
-शंभू बिहारी, पल्लेदार कृषि उपज मंडी नोखा।

मार्गदर्शन मांगेंगे

किसान कलेवा योजना के रसोई घर को संचालित करने वाली फर्म का 30 जून को टेंडर खत्म हो गया। इसके बाद दो बार टेंडर निकाल दिया है, कोई आता ही नहीं है। अब फिर से टेंडर निकालेंगे। उसके बाद भी कोई नहीं आएगा, तो इस संबंध में निदेशक को पत्र लिखकर मार्गदर्शन मांगा जाएगा।
-रामलाल जाट, सचिव, कृषि उपज मंडी, नोखा।

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