बीकानेर.पवनपुरी स्थित करणी नगर में रहने वाले वृद्ध दंपति की आंखें अपने बेटे से वीडियो कॉल करते आंसुओं से भर आती है। वे डेढ़ माह से अपने बेटे से नहीं मिले हैं। इसके बावजूद फोन पर यही कहते हैं कि ‘बेटा हमारी चिंता छोड़, मरीजों की तबीयत पर ध्यान देना।’ बीकानेर के डॉक्टर योगेन्द्र सिंह राठौड़ वर्तमान में जयपुर एसएमएस हॉस्पीटल के कोरोना वार्ड में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। डॉ. योगेन्द्र सिंह के पिता करणी सिंह व माता भंवर कंवर ने कह वे खुद को सौभाग्यशाली मानते हैं कि उनका बेटा कोरोना से संक्रमित मरीजों का ईलाज कर रहा है। उन्होंने बताया कि आरपीएमटी में टॉप करने के बाद जब एमबीबीएस पूरी हुई तो अपने बेटे से एक ही बात कही थी कि ‘मरीजों की सेवा से बड़ी कोई सेवा नहीं हैÓ।दंपति बताते हैं कि श्वसन रोग विशेषज्ञ उनका बेटा योगेन्द्र सिंह कोरोना संक्रमित दर्जनों मरीजों को ठीक कर चुका है।
घर वाले बढ़ा रहे हौसला
डॉ. राठौड़ ने पत्रिका से बातचीत कर बताया कि पिछले डेढ़ माह से घर से ड्यूटी और ड्यूटी से घर यही रूटीन बना हुआ है। इसके बावजूद उन्हें काम करने में आनंद आ रहा है। घर वालों की याद आती है, लेकिन उनके हौंसला अफजाई के बाद सारी चिंताएं दूर हो जाती है।
डॉ. राठौड़ ने पत्रिका से बातचीत कर बताया कि पिछले डेढ़ माह से घर से ड्यूटी और ड्यूटी से घर यही रूटीन बना हुआ है। इसके बावजूद उन्हें काम करने में आनंद आ रहा है। घर वालों की याद आती है, लेकिन उनके हौंसला अफजाई के बाद सारी चिंताएं दूर हो जाती है।
दुलार भी नहीं पाए
डॉ. योगेन्द्र दिसम्बर में पिता बने हैं। वे कहते हैं कि बेटा होने के बाद उनकी पत्नी डॉ. श्वेता भाटी जोधपुर चली गईं थी। इसके कुछ दिनों बाद ही कोरोना संक्रमित मरीजों का मिलना शुरू हो गया। ऐसे में वे अपने बेटे को दुलार भी नहीं पाए। हालांकि वे कहते हैं कि जब भी परिजनों की याद आती है वे वीडियो कॉल कर उनसे बात कर लेते हैं। डॉ. राठौड़ के भाई कर्नल जितेन्द्र सिंह राठौड़, बहन सविता राठौड़ तथा बहनोई अभिषेक सिंह राठौड़ उनकी हौंसला अफजाई करते रहते हैं। वे कहते हैं कि चिकित्सकों की मेहनत ने कोरोना संक्रमण को काफी हद तक नियंत्रित कर लिया है।
डॉ. योगेन्द्र दिसम्बर में पिता बने हैं। वे कहते हैं कि बेटा होने के बाद उनकी पत्नी डॉ. श्वेता भाटी जोधपुर चली गईं थी। इसके कुछ दिनों बाद ही कोरोना संक्रमित मरीजों का मिलना शुरू हो गया। ऐसे में वे अपने बेटे को दुलार भी नहीं पाए। हालांकि वे कहते हैं कि जब भी परिजनों की याद आती है वे वीडियो कॉल कर उनसे बात कर लेते हैं। डॉ. राठौड़ के भाई कर्नल जितेन्द्र सिंह राठौड़, बहन सविता राठौड़ तथा बहनोई अभिषेक सिंह राठौड़ उनकी हौंसला अफजाई करते रहते हैं। वे कहते हैं कि चिकित्सकों की मेहनत ने कोरोना संक्रमण को काफी हद तक नियंत्रित कर लिया है।