डॉ. राठौड़ ने पत्रिका से बातचीत कर बताया कि पिछले डेढ़ माह से घर से ड्यूटी और ड्यूटी से घर यही रूटीन बना हुआ है। इसके बावजूद उन्हें काम करने में आनंद आ रहा है। घर वालों की याद आती है, लेकिन उनके हौंसला अफजाई के बाद सारी चिंताएं दूर हो जाती है।
डॉ. योगेन्द्र दिसम्बर में पिता बने हैं। वे कहते हैं कि बेटा होने के बाद उनकी पत्नी डॉ. श्वेता भाटी जोधपुर चली गईं थी। इसके कुछ दिनों बाद ही कोरोना संक्रमित मरीजों का मिलना शुरू हो गया। ऐसे में वे अपने बेटे को दुलार भी नहीं पाए। हालांकि वे कहते हैं कि जब भी परिजनों की याद आती है वे वीडियो कॉल कर उनसे बात कर लेते हैं। डॉ. राठौड़ के भाई कर्नल जितेन्द्र सिंह राठौड़, बहन सविता राठौड़ तथा बहनोई अभिषेक सिंह राठौड़ उनकी हौंसला अफजाई करते रहते हैं। वे कहते हैं कि चिकित्सकों की मेहनत ने कोरोना संक्रमण को काफी हद तक नियंत्रित कर लिया है।