बच्चे पर आवारा कुत्तों ने हमला कर दिया, जिससे बच्चा चिल्लाया। तब घरवाले व पड़ोसी दौड़कर आए। पड़ोसी व घरवालों ने बच्चे को कुत्तों से छुड़ाया तब तक कुत्तों ने बच्चे को बुरी तरह से जगह-जगह से नोंच डाला। बच्चे को परिजन पीबीएम अस्पताल के ट्रोमा सेंटर ले गए, जहां इलाज के दौरान बच्चे की मौत हो गई।
चिकित्सकों के मुताबिक कुत्तों ने बच्चे को गर्दन, सिर व जांघ पर बुरी तरह से काटा था। गर्दन के पास से नसें तक बाहर निकल गई थी। जांघ पूरी में कुत्तों के दांतों के निशान थे। ट्रोमा सेंटर के सीएमओ डॉ. एलके कपिल ने बताया कि बच्चे का चेकअप करने के बाद ईएनटी, पीडियाट्रिक सर्जन, न्यूरो सर्जन, जनरल सर्जन, ऑर्थोंपेडिशन, पीएसएम विभाग के चिकित्सकों को बुलाया।
बच्चे को एक यूनिट रक्त चढ़ाया गया। बच्चे को वेंटीलेटर पर लिया लेकिन करीब पौने दो घंटे तक जिंदगी और मौत से जूझने के बाद बच्चे का दम टूट गया। डॉ. कपिल ने बताया कि पिछले काफी समय से आवारा कुत्तों के काटने के मामले बढ़ रहे इसमें छोटे बच्चे और बुजुर्गों को आवारा कुत्ते अपना शिकार बना रहे हैं। वहीं हादसे का पता चलने पर आर्मी के अधिकारी व कर्मचारी ट्रोमा सेंटर पहुंच गए।
पीबीएम अस्पताल के ट्रोमा सेंटर में आवारा कुत्तों के काटने से एक ही दिन में 16 जने पहुंचे, जिनमें से एक आर्मी मैन के बेटे की मौत हो गई। सतेन्द्र, किसनाराम, रामलाल, जसोदा, हंसराज, त्रिलोक, रोहित, महेश, भावना, सुलोचना, अभिषेक, अभिमन्यु, अनामिका को आवारा कुत्तों ने काट लिया, जिन्हें परिजन पीबीएम अस्पताल के ट्रोमा सेंटर लेकर पहुंचे। इनमें दो को कुत्तों ने ज्यादा काटा है, शेष के गंभीर घाव नहीं हैं। पीबीएम के ट्रोमा सेंटर के स्टाफ की मानें तो हर दिन आठ से दस लोग कुत्ते के शिकार होकर पहुंच रहे हैं।
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– कुत्ते ने जहां पर काटा है, उस जगह को साबून व साफ पानी से धोए।
– मिर्ची व अन्य चीज नहीं लगाए और ना ही कपड़े से ढंके।
– कुत्ते के काटी जगह से खून का तेज रिसाव हो रहा हो तो साफ कॉटन व सूती कपड़े स ढ़के अन्यथा खुला रखे।
– रेबिज से बचाव के लिए एआरबी व एएआरएस सरकारी अस्पताल में नि:शुल्क उपलब्ध है, यह जरूर लगवाए। एआरएस टीका केवल जिला अस्पताल एवं मेडिकल कॉलेज स्तर पर उपलब्ध रहता है।