बीकानेर

Bikaner Updates : ये राह नहीं आसां…बस इतना समझ लीजे, गड्ढों भरा रस्ता है और गिरते-पड़ते जाना है

Bikaner News : बीकानेर की सड़कों का कुछ यूं हाल है कि आप भी यहीं कहेंगे कि ‘ये राह नहीं आसां…बस इतना समझ लीजे… गड्ढों भरा रस्ता है, गिरते-पड़ते जाना है।’

बीकानेरOct 23, 2024 / 02:55 pm

Supriya Rani

विमल छंगाणी. गुरुवार को शहर के प्रमुख हिस्सों में सड़कों को देखने निकला। ढाई घंटे में करीब 18 किमी का सफर तय किया। चार-पांच जगह छोड़ दें, तो कहीं भी गाड़ी गति नहीं पकड़ पाई। अधिकतर सड़कों पर उखड़ा डामर, जगह-जगह गड्ढे नजर आए। वाहन हिचकोले खाते हुए निकलते रहे।
सफर के दौरान पाया कि ज्यादातर सड़कें सुचारु यातायात के अनुकूल नहीं लग रही थीं। सड़कों पर बने गड्ढों को भरने के लिए संबंधित विभागों के प्रयास नजर नहीं आए। परेशानहाल शहरवासी किसी प्रकार अपने वाहनों को निकालते रहे। गड्ढों, उखड़े डामर व निकले कंकर-पत्थरों के कारण सड़कें भयभीत करती नजर आईं।

भुट्टा चौराहा से तीर्थब, जगह-जगह गड्ढे

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यह व्यस्तम मार्ग है। रोज हजारों वाहन इस मार्ग से निकलते हैं। इस मार्ग पर वाहन की गति बढ़ना संभव ही नहीं है। आठ स्थानों पर बड़े गड्ढे और डामर उखड़ा है। इस मार्ग पर हल्के और भारी दोनों प्रकार के वाहनों की आवाजाही रहती है। गड्ढों को भरने की तैयारी नजर आ रही है।

गजनेर रोड से जस्सूसर गेट रोड – लंबे समय से सड़क बदहाल

जस्सूसर गेट से गजनेर रोड की तरफ आने वाला प्रमुख मार्ग है। सड़क की चौडाईकरण के नाम पर यह मार्ग लंबे समय से बदहाल है। इस मार्ग पर अस्पताल होने के कारण चौबीसों घंटे लोगों की आवाजाही भी रहती है। जगह-जगह सड़क टूटी पड़ी है। वाहन चलाना दूभर बना हुआ है।


अम्बेडकर सर्किल – उखड़ा डामर


अम्बेडकर सर्किल के पास संभाग की सबसे बड़ी पीबीएम अस्पताल है। यहां रोज हजारों लोगों का आना-जाना लगा रहता है। पुराने शहर, कोटगेट, पब्लिक पार्क, रानीबाजार से पीबीएम अस्पताल जाने वाला मुख्य मार्ग है। यहां डामर उखड़ा पड़ा है। सड़क से कंकर पत्थर निकले हुए हैं।

भीमसेन चौधरी सर्किल – कंकर-पत्थर व गड्ढे

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शहर का प्रमुख सर्किल है। रोडवेज और निजी बसों का यहां ठहराव होता है। हजारों यात्री यहां से आते व जाते हैं। श्रीगंगानगर, गजनेर रोड, नगर निगम और दीनदयाल उपाध्याय सर्किल, शिक्षा निदेशालय जाने का प्रमुख मार्ग इसी सर्किल से होकर जाते है। रोड पर बड़े बड़े कंकर पत्थर सड़क पर निकले हुए है। कई जगह पर डामर उखड़ा पड़ा है।


वाणिज्य कर विभाग रोड – उधड़ी सड़क, निकले पत्थर


तुलसी सर्किल क्षेत्र में वाणिज्य कर विभाग के पास की रोड मुख्य मार्ग के रूप में है। इस मार्ग से होकर भी लोग पीबीएम अस्पताल, एक्सरे वाली गली की ओर जाते हैं। इस मार्ग पर सड़क उधड़ी पड़ी है। जगह-जगह छोटे छोटे गड्ढे बने हैं। कंकर पत्थर निकले हुए हैं। सड़क से चलना मुश्किल बना हुआ है।

सादुल सिंह सर्किल से पोस्ट ऑफिस होते हुए रोशनीघर चौराहा

शहर का यह प्रमुख और व्यस्ततम मार्ग है। इस मार्ग से चौबीसों घंटे लोगों की आवाजाही बनी रहती है। सादुल सिंह सर्किल से बड़ा हनुमान मंदिर रोड पर पेट्रोल पंप के पास मोड पर सड़क की स्थिति बदहाल है। पोस्ट ऑफिस से फड़ बाजार तक रोड पर बने नाला चैंबर जाली व सड़क बदहाल है। जगह-जगह सड़क टूटी हुई है।


उप नगर क्षेत्र की सड़कें भी बदहाल


उप नगर क्षेत्र गंगाशहर व भीनासर क्षेत्र की अनेक सड़कें बदहाल हैं। बरसाती पानी से सड़कों की स्थिति अधिक खराब है। गंगाशहर मुख्य रोड से सुजानदेसर बाबा रामदेव मंदिर रोड पर जगह-जगह गड्ढे बने हुए हैं। डामर उखड़ा है। वहीं बाबा रामदेव मंदिर के पीछे सुजानदेसर-श्रीरामसर रोड की िस्थति भी खराब है। भीनासर सरकारी स्कूल के आगे से होते हुए बाबा रामदेव मंदिर तक तथा चौपड़ा बाड़ी से सुजानदेसर-गंगाशहर तक,नोखा रोड पर बने गंगाशहर द्वार से गंगाशहर चौराहे तक के मुख्य मार्ग पर भी जगह-जगह गड्ढे बने हुए हैं। सड़क उधड़ी पड़ी है।

यहां दिखा दोहरा विकास

सिविल लाइंस क्षेत्र व म्यूजियम सर्किल के आस पास जहां पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों के निवास स्थान हैं, वहां की सड़कें चकाचक हैं। यहां न गड्ढे दिखाई दे रहे हैं और न ही उखड़ा डामर नजर आ रहा है।


किसको बताऊं दास्तां, किसको दिखाऊं दिल के दाग…


मैं बीकानेर की सड़क हूं। शासन-प्रशासन की उदासीनता, अनदेखी और भेदभाव के कारण उपेक्षित हूं। सुर्खियों में रहती हूं, फाइलों में दिखती हूं। अखबारों में छपती भी हूं। अपने शहरवासियों को उनकी मंजिल तक ले जाती हूं। मेरी बेबसी पर वे मुझे ताना भी मारते हैं। जगह-जगह बने गड्ढ़ो, कंकर-पत्थरों से कराह रही हूं। रोज पौ फटते ही राह तकती हूं कि आज तो कोई आएगा। मेरे गहरे जख्मों को भरेगा। मेरे दिल बने घाव से निकले कंकर पत्थरों से जब कोई शहरवासी गिरता है। उसका रक्त मेरे ऊपर गिरता है। तो मन गीला हो जाता है। दिल दुखता है। क्या कोई भी ऐसा नहीं है, जो मेरा दर्द समझ़े। मेरे जख्मों को भरे। कोई उनको कुछ क्यों नहीं कहता, जिन्होंने मुझे बनाने में कोताही बरती। आंखें बंद कर मेरी गुणवत्ता को परखा। मेरे ऊपर एकत्र हुए पानी की निकासी कैसे होगी, इस बारे में सोचा ही नहीं। उनसे कहना चाहती हूं कि अगली बार जब भी मुझ़े बनाओ…थोड़ा मेरी पीड़ा का भी ध्यान रखो।
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