पुलिस उप अधीक्षक भोजराज सिंह ने बताया कि छात्रा के परिजनों की मौजूदगी में मेडिकल कॉलेज के न्यू गल्र्स हॉस्टल के कमरा नम्बर १०२ की तलाशी ली गई। कोई सुसाइड नोट नहीं मिलने पर छात्रा के मोबाइल को जांच के लिए भेजा है। गौरतलब है कि मेडिकल इंटर्न मनीषा हनुमानगढ़ जिले की भादरा तहसील के अनूपशहर की रहने वाली थी। उसने शनिवार शाम करीब ४ बजे मेडिकल कॉलेज के हॉस्टल के कमरे में पंखे से फंदा डालकर खुदकुशी कर ली थी।
यह है मामला
हनुमानगढ़ जिले की भादरा तहसील के अनूपसर की रहने वाली 25 वर्षीय इंटर्न छात्रा मनीषा कुमावत ने शनिवार दोपहर को शाम करीब पांच बजे न्यू गल्र्स हॉस्टल के रूम नंबर 102 में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। मृतका का के शव को तुंरन्त ट्रोमा सेंटर में लाया गया और उसके बाद शव मोर्चरी में रखवा दिया गया।
हनुमानगढ़ जिले की भादरा तहसील के अनूपसर की रहने वाली 25 वर्षीय इंटर्न छात्रा मनीषा कुमावत ने शनिवार दोपहर को शाम करीब पांच बजे न्यू गल्र्स हॉस्टल के रूम नंबर 102 में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। मृतका का के शव को तुंरन्त ट्रोमा सेंटर में लाया गया और उसके बाद शव मोर्चरी में रखवा दिया गया।

मानदेय से खुशियों के बीच दुखदाई घटना
हॉस्टल इंचार्ज डॉ. प्रमिला खत्री का कहना कि शनिवार को इंटर्न का पहला मानदेय आया तो सब छात्राएं सेलिब्रेट कर रही थी। इसी दौरान यह सूचना मिली जो काफी दुखदाई थी।
हॉस्टल इंचार्ज डॉ. प्रमिला खत्री का कहना कि शनिवार को इंटर्न का पहला मानदेय आया तो सब छात्राएं सेलिब्रेट कर रही थी। इसी दौरान यह सूचना मिली जो काफी दुखदाई थी।
रातभर नहीं सोई …
हादसे के बाद से मनीषा की साथी छात्राओं का रो-रो कर बुरा हाल है। कई छात्राओं ने खाना तक नहीं खाया, रात भर सो नहीं पाई। वे बताती है कि मनीषा अब हमारे बीच नहीं है यकीन नहीं हो रहा। पढ़ाई में होशियार और हंसमुख मनीषा अब हमारे बीचनहीं रही।हम उसे कैसे भुला पाएंगे। रविवार सुबह होते ही उसके बैंच के छात्र-छात्राएं मोर्चरी के आगे पहुंच गए। जब उसका शव एम्बुलेंस में डालकर गांव के लिए परिजन रवाना हुए तो वहां खड़ी सहपाठी छात्राएं फूट-फूट कर रोने लगी। हादसे के १६ घंटे बाद भी हॉस्टल में मासूसी छाई हुई थी।
हादसे के बाद से मनीषा की साथी छात्राओं का रो-रो कर बुरा हाल है। कई छात्राओं ने खाना तक नहीं खाया, रात भर सो नहीं पाई। वे बताती है कि मनीषा अब हमारे बीच नहीं है यकीन नहीं हो रहा। पढ़ाई में होशियार और हंसमुख मनीषा अब हमारे बीचनहीं रही।हम उसे कैसे भुला पाएंगे। रविवार सुबह होते ही उसके बैंच के छात्र-छात्राएं मोर्चरी के आगे पहुंच गए। जब उसका शव एम्बुलेंस में डालकर गांव के लिए परिजन रवाना हुए तो वहां खड़ी सहपाठी छात्राएं फूट-फूट कर रोने लगी। हादसे के १६ घंटे बाद भी हॉस्टल में मासूसी छाई हुई थी।

भाई रमेश कुमार ने बताया कि शनिवार दोपहर दो बजे अंतिम बार उसकी बहन से फोन पर बात हुई थी। मनीषा ने कहा था कि सिर दर्द हो रहा है और मैं सो रही हूं। इसके बाद उसका फोन स्विच ऑफ हो गया। पढ़ाई को लेकर वह ज्यादा सेंसेटिव थी। अब भी विश्वास नहीं हो रहा कि उसने आत्महत्या जैसा कदम उठाया है।
पहले भी हो चुके हैं हादसे
एसपी मेडिकल कॉलेज में पूर्व में भी दो हादसे हो चुके हैं। करीब आठ-नौ साल पहले अपने दोस्तों के साथ पिकनिक मनाने गए मेडिकल छात्र की शोभासर जलाशय में डूबने से मौत हो गई थी। वहीं वर्ष २०१२-१३ में बॉयज हॉस्टल की छत से गिरने पर एक मेडिकल छात्र की मौत हुई थी। करीब साढ़े तीन साल पहले सीकर निवासी मेडिकल छात्र कपिल की कॉलेज परिसर में बने स्विमिंग पूल में डूबने से मौत हुई थी। इसके बाद कई साल तक स्वीमिंग पूल बंद भी रहा। कुछ समय पहले मेडिकल स्टूडेंट्स के लिए नए भवन का निर्माण किया गया।
एसपी मेडिकल कॉलेज में पूर्व में भी दो हादसे हो चुके हैं। करीब आठ-नौ साल पहले अपने दोस्तों के साथ पिकनिक मनाने गए मेडिकल छात्र की शोभासर जलाशय में डूबने से मौत हो गई थी। वहीं वर्ष २०१२-१३ में बॉयज हॉस्टल की छत से गिरने पर एक मेडिकल छात्र की मौत हुई थी। करीब साढ़े तीन साल पहले सीकर निवासी मेडिकल छात्र कपिल की कॉलेज परिसर में बने स्विमिंग पूल में डूबने से मौत हुई थी। इसके बाद कई साल तक स्वीमिंग पूल बंद भी रहा। कुछ समय पहले मेडिकल स्टूडेंट्स के लिए नए भवन का निर्माण किया गया।

पढ़ाई या काम के बोझ जैसी कोई बात नहीं है। इंटर्न की पढ़ाई हर मेडिकल छात्र अपनी रुचि लेकर करता है। यह डॉक्टर बनने का आखिरी पड़ाव होता है। कॉलेज में एमसीआइ के नॉमर्स के अनुसार इंटर्न की क्लिनिक ड्यूटी लगती है। पढ़ाई वह अपने स्तर पर करते हैं, क्योंकि इंंटर्न करने के बाद उन्हें प्री पीजी एग्जाम देने होते हैं। कॉलेज में इंटर्न को किसी तरह का अतिरिक्त काम नहीं कराया जाता और ना ही ऑन कॉल बुलाया जाता है। पढ़ाई वकाम का बोझ जैसे आरोप निराधार है।
डॉ. एचएस कुमार, प्राचार्य एसपी मेडिकल कॉलेज बीकानेर
सदमे में पिता… बेटी के डॉक्टर बनने का था इंतजार
पिता प्रभूराम कुमावत ने रविवार सुबह जैसे ही बेटी मनीषा का शव देखा वो फूट-फूट कर रोने लगे। पुलिस अधिकारियों ने ढांढस बंधाया तो पिता ने भरे गले से बस इतना ही कह पाया कि बेटी के डॉक्टर बनने का इंतजार कर रहे थे। मेरे सपने को पूरा करने के लिए ही वो दिन-रात मेहनत
करती थी।
पिता प्रभूराम कुमावत ने रविवार सुबह जैसे ही बेटी मनीषा का शव देखा वो फूट-फूट कर रोने लगे। पुलिस अधिकारियों ने ढांढस बंधाया तो पिता ने भरे गले से बस इतना ही कह पाया कि बेटी के डॉक्टर बनने का इंतजार कर रहे थे। मेरे सपने को पूरा करने के लिए ही वो दिन-रात मेहनत
करती थी।
पिता की रिपोर्ट पर मर्ग दर्ज पिता प्रभुराम कुमावत ने जेएनवीसी थाने में मर्ग दर्ज कराई। रिपोर्ट में बताया कि शनिवार को दोपहर डेढ़ बजे उसकी मनीषा से बात हुई थी, तब उसने कहा कि खाना खाकर सो रही हूं। बाद में शाम करीब चार बजे बेटे रमेश ने फोन किया तो उसने फोन उठाया नहीं। तब रमेश ने उसकी सहपाठी को फोन कर पता करने का कहा। हॉस्टल की छात्राओं ने देखा तो कमरे का गेट अंदर से बंद था। कमरे का गेट तोड़कर देखा तो मनीषा पंखे के हुक से फांसी का फंदा बनाकर लटकी हुई थी। उसे नीचे उतारकर पीबीएम अस्पताल ले गए, जहां चिकित्सकों ने मृत घोषित कर दिया। पिता ने कहा कि मनीषा पढ़ाई को लेकर काफी तनाव में रहती थी।