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बीकानेर

महापौर चुनाव: जीत के लिए पार्टियों का पूंजीपति प्रत्याशियों पर दांव

Bikaner Mayor Election- नगर निगम महापौर के चुनाव के लिए नामांकन प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। शहर के चुने हुए 80 वार्ड पार्षद 26 नवम्बर को मतदान करेंगे।

बीकानेरNov 23, 2019 / 11:19 am

Vimal

Bikaner Mayor Election BJP Congress candidate

महापौर चुनाव: जीत के लिए पार्टियों का पूंजीपति प्रत्याशियों पर दांव

बीकानेर. नगर निगम bikaner nagar nigam महापौर के चुनाव के लिए नामांकन प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। शहर के चुने हुए 80 वार्ड पार्षद 26 नवम्बर को मतदान करेंगे। भाजपा bjp की ओर से महापौर प्रत्याशी के रूप में सुशीला कंवर को तथा कांग्रेस Congress की ओर से अंजना खत्री को मैदान में उतारा गया है। मतदान में अभी तीन दिन शेष है। असल में निकाय अध्यक्ष के चुनाव में होर्स ट्रेडिंग, धन-बल का सहारा लेने के आरोप लगते रहते है। पार्षदों की खरीद-फरोख्त की आशंकाएं भी रहती है। भाजपा ने अपने पार्षदों की बाड़ाबंदी कर रखी है। कांग्रेस ने पार्षद खुले छोड़ रखे है। दोनों ही दलों ने आर्थिक रूप से मजबूत पार्षद को प्रत्याशी बनाया है। मुकाबला रोचक बना हुआ है।
ट्रांसपोर्ट व्यवसाय और राजनीतिक परिवार से हैं सुशीला कंवर
बीकानेर. निगम महापौर पद के लिए भाजपा प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान में उतरी सुशीला कंवर ने भले ही पहली बार राजनीति में कदम रखा है, लेकिन उनका परिवार सालों से राजनीति में सक्रिय है। सुशीला कंवर भाजपा के वरिष्ठ नेता और ट्रांसपोर्ट कारोबारी गुमान सिंह राजपुरोहित की पुत्रवधू हैं। परिवार आर्थिक रूप से सम्पन्न और राजनीतिक, सामाजिक क्षेत्र में पहचान रखता है। सुशीला के पति विक्रम सिंह भी परिवार के ट्रांसपोर्ट व्यवसाय से जुडे़ हैं। ससुर गुमान सिंह राजपुरोहित एक बार विधानसभा चुनाव में निर्दलीय के रूप में भाग्य आजमाने के साथ भाजपा से पार्षद भी रहे हैं। संगठन में पदाधिकारी रहे हैं। केन्द्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल के करीबियों माने जाते हैं।
ससुर की भूमिका अहम
गुमान सिंह पहले पूर्व मंत्री देवी सिंह भाटी के लम्बे समय तक करीबी रहे हैं। ट्रांसपोर्ट व्यवसाय के साथ राजनीति के दांव-पेच और जोड़-तोड़ में माहिर माने जाते हैं। उनके राजनीतिक अनुभव का लाभ सुशीला कंवर को मिला है। निगम चुनाव के बाद बहुमत के लिए आवश्यक आंकडे़ को छूने और भाजपा से जीती कई महिला पार्षदों में से सुशीला कंवर के नाम पर सहमति बनाने में उनके ससुर की अहम भूमिका बताई जा रही है।
डेयरी कारोबार वाले मोदी बंधुओं के परिवार से हैं अंजना खत्री
बीकानेर. उद्यमी परिवार से जुड़ी कांग्रेस की महापौर प्रत्याशी अंजना खत्री भले ही जीत के लिए आंकड़े में अभी कमजोर हो, लेकिन क्रॉस वोटिंग और भाजपा खेमे में फूटे असंतोष से उन्हें पूरी उम्मीद बरकरार है। यही कारण है कि उनकी ओर से नामांकन दाखिल करने के बाद से ही कांग्रेस पार्टी फिर से सक्रिय हो गई है। अंजना खत्री पूर्व में पार्षद रह चुकी हैं। उनके भाई अशोक मोदी और अरुण मोदी दूध डेयरी व्यवसाय से जुड़े हैं। असल में अंजना खत्री के नामांकन भरने से पहले कांग्रेस पार्टी खुद को महापौर की दौड़ से बाहर मान बैठी थी। राजनीतिक गलियारों में चल रही चर्चाओं के अनुसार तो कांग्रेस की मायूसी देख आलाकमान ने उद्यमी परिवार की ओर इशारा किया तो स्थानीय नेताओं ने अंजना खत्री का नाम आगे बढ़ा दिया।
भाइयों पर सबकी नजर
हालांकि आस्था और व्यापार से जुड़े मोदी परिवार को भले ही राजनीतिक खिलाड़ी नहीं माना जा रहा हो, लेकिन मजबूत आर्थिक स्थिति से महापौर प्रत्याशी के नाम पर दांव खेला गया है। नतीजा जो भी रहे कांग्रेस के इस दांव से भाजपा की मानी जा रही बाजी को रोचक जरूर बना दिया है। अंजना के भाई व्यवसायिक और आर्थिक दृष्टि से मजबूत है। ऐसे में महापौर के चुनावी रण में सबकी नजर उन पर भी टिकी है।

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