पुलिस अधीक्षक तेजस्वनी गौतम ने बताया कि स्पेशल इन्वेटीगेशन टीम (एसआईटी) शनिवार से जांच शुरू करेगी। एएसपी सिटी दीपक शर्मा के नेतृत्व में टीम घटनास्थल का दोबारा मौका-मुआयना करेगी। पड़ोसियों से पूछताछ और हनुमान के परिजनों और ससुराल पक्ष के लोगों के बयान लेगी। मृतकों के पास से मिले दोनों सुसाइड नोट को जांच के लिए एफएसएल भिजवाया गया है। शवों के विसरा जांच के लिए भेजे गए हैं। प्रथमदृष्टया जायजाद और कर्ज ही कारण सामने आ रहा है। वहीं दूसरी और दोपहर बाद चारों शवों का चौखूंटी क्षेत्र िस्थत चूना-भट्टा के पास स्वर्णकार समाज के शमशान गृह में अंतिम संस्कार किया गया।
अपनों से ही हारे…
अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक दीपक शर्मा के मुताबिक, एक सुसाइड नोट विमला का लिखा है, जो घटनास्थल पर मिला और दूसरा सुसाइड नोट मृतक हनुमान की पैंट की जेब में मिला। हनुमान ने भी सुसाइड नोट में अपने माता-पिता, भाई-भाभी बहनों एवं ससुराल पक्ष पर आरोप लगाया है। लिखा कि माता-पिता, भाई व बहनों ने उसके हिस्से की जायदाद हड़प कर ली और उसे किसी तरह का कोई सपोर्ट नहीं किया। ससुराल में सालों को मकान बेच कर 50 लाख रुपए दिए, जो उन्होंने वापस लौटाए नहीं। रुपए मांगने पर ससुराल वालों ने रिश्ता-नाता तोड़ लिया।
बेटी की मौत से उठे पर्दा…तब आएगा नया मोड़
पुलिस सूत्रों की मानें, तो बेटी की मौत को लेकर संशय बना हुआ है। हनुमान, विमला, मोनू, ऋषि एक ही अवस्था में मिले थे। रसोई में ऋषि व गुडि़या मृत मिली थी। गुड्डू का शव रसोई में फर्श पर पड़ा था, लेकिन गले में चुन्नी से फंदा लगा हुआ था। चुन्नी को पीछे कस कर बांधा हुआ था। उसके मुंह से झाग निकले हुए थे। आशंका यह भी है कि शायद उसने जहर खाया हो, लेकिन चिकित्सकों के मु़ताबिक प्रथमदृष्टया फांसी से मौत होना ही प्रतीत हो रहा है। माैत के सही कारण पोस्टमार्टम रिपोर्ट में उजागर होंगे।
मिजाज पर भी मंथन
पुलिस सूत्रों की मानें, तो हनुमान सनकी प्रवृति का आदमी था। हमेशा से गुमशुम व चुपचाप रहता था। रिश्तेदारी में भी कम ही जाता था। छोटी-छोटी बातों पर अपनों से नाराज हो जाता था। इसलिए पिछले 10-15 सालों से अपने माता-पिता, भाई-बहन व ससुराल वालों से दूर था। न खुद जाता था और न ही अपने बीवी व बच्चों को जाने देता था। अब उसके बच्चे बड़े हो रहे थे। खुद का मकान भी नहीं था। ऐसे में शायद वह तनाव में आ गया और कांड कर बैठा।
बीवी, बच्चों को बेहद प्यार करता था
मृतक हनुमान के एक परिचित ने बताया कि वह अपनी पत्नी व बच्चों को बेहद प्यार करता था। वह बच्चों को एक पल के लिए भी दूर नहीं भेजता था। वह हमेशा कहता था कि उसके बच्चे कभी दुख न सहन करें। इसलिए वह जीते-जी उनको हरसंभव खुशी देता था। आशंका है कि वह अपनों के विमुख होने एवं आर्थिक तंगी से शायद अवसाद में चला गया। तभी पूरे परिवार के साथ जान देने का फैसला किया।