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बीकानेर

जाने कब खुलेगा समस्या का ‘फाटक’, नशे का जाल भी रोक रहा युवाओं की राहें

कोटगेट से नत्थूसर गेट तक लाइव रिपोर्ट

बीकानेरApr 10, 2024 / 08:09 pm

Atul Acharya

जाने कब खुलेगा समस्या का ‘फाटक’, नशे का जाल भी रोक रहा युवाओं की राहें

जाने कब खुलेगा समस्या का ‘फाटक’, नशे का जाल भी रोक रहा युवाओं की राहें

शहर पाटों से लेकर संकरी गलियों तक में चुनावी रंगत और वोटरों के मन को टटोलने के लिए दोपहिया की सवारी और शाम का समय ही मुफीद लगा। ऐसे में देर शाम केईएम रोड पर कोटगेट से चुनावी रंगत को देखने की हसरत के साथ सफर शुरू किया। रात दस बजे नत्थूसर गेट पहुंचा। आठ बजे हल्का अंधेरा होने के साथ रोड लाइटों की दूधिया रोशनी केईएम रोड पर फैल चुकी थी। दाऊजी रोड पर भुजिया की दुकान पर मिले मनोज व्यास के सामने चुनाव का नाम लेते ही वह भी रेलवे फाटक पर अटक गए। बोले-बारी-बारी सभी को परख लिया, कोई परेशानी से मुक्ति नहीं दिला रहा। पास खड़ी गायत्री देवी पुरोहित से भी रहा नहीं गया। बोलीं, गर्मियां आते ही पीने के पानी की समस्या शुरू हो जाती है। इस बार चुनाव है, तो कम से कम पानी की आपूर्ति तो मिल रही है।

एमडी का जहर कौन फैला रहा…

तेलीवाड़ा पहुंचे। विष्णु दत्त मिले। बोले…रात 8 बजे के बाद कई जगह खुला नशा बिकता है। एमडी का नशा तो पिछले चार-पांच साल में ही फैला है। पान के खोखों और ठेलों पर एमडी बेचने वालों के बारे में क्या पुलिस को पता नहीं? शह के बिना नशे का कारोबार खड़ा नहीं हो सकता। नवरत्न व्यास बेसहारा गोवंश को लेकर चिंतित दिखे। बोले- नगर निगम अपनी जिम्मेदारी सरकार पर डाल देती है। बरसात के पानी की निकासी की परेशानी हर साल झेलते है। हाईकोर्ट बेंच खोलने की मांग सालों से हो रही है।

जाम से आम परेशान

लोगों का मन टटोलते कब मोहता चौक आ गया, पता ही नहीं चला। ठेले पर रबड़ी-मलाई बेच रहे सुशील ओझा ने चुनावी मुद्दों की बात छेड़ते ही कहा ट्रैफिक जाम ने परेशान कर रखा है। टैक्सियों की तादाद इतनी हो गई है कि उनके खड़े रहने से ही ट्रैफिक जाम हो रहा। सबसे बड़े साड़ी बाजार में महिलाओं के लिए शौचालय तक नहीं है।

हवेलियों की चमक गायब

आचार्य चौक पाटे पर बैठे मिले आनंद व्यास बोले, पर्यटन ही इस शहर की आर्थिक गतिविधि का आधार है। 1952 से आज तक पर्यटन पर संजीदा पहल नहीं हुई। संकरी गलियों में हवेलियों की खूबसूरती की चमक फीकी पड़ रही है।

आज भी यहां जिंदा हैं पुराने किस्से
रात के 9.30 बजे हर्षों के चौक में पाटे पर पहुंचे। यहां चर्चा के केन्द्र में चुनाव था। ओंकारनाथ हर्ष और अनंतलाल अस्सी के दशक के चुनावी किस्से सुना रहे थे। उस दौर में शहर के नजारे, चुनावी नारे और नेताओं की बातें, सब ऐसे बता रहे थे, जैसे सब आंखों के सामने चल रहा हो। कपड़े के पर्दों पर प्रत्याशियों के नाम और दीवारों पर लिखी वोट की अपील तक सब बताया।

अब सब मोबाइल पर

बारह गुवाड़ चौक में पान की दुकान पर रुके। 71 वर्षीय ईश्वर महाराज छंगाणी तो सीधे सत्तर के दशक में पहुंच गए। बोले, अब तो सब मोबाइल पर ही हो गया है। पहले चुनाव उत्सव की तरह होता था। घड़ी की सूई दस पर पहुंच चुकी थी। सामने आ गया नत्थूसर गेट। चाय व पान की दुकानें खुली थीं। परिचित गौरीशंकर रंगा के साथ बैठकर चाय पीने का आनंद लिया।

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