समय-समय पर इनकी प्रदर्शनी भी लगती है। लोग बड़ी दिलचस्पी से देखना पसंद भी करते हैं। वैसे जानना जरूरी भी है कि यह प्रवृत्ति नई-नई नहीं, बल्कि सालों साल पुरानी है। जानकारों की मानें, तो ये लोग ऐसा संग्रहण रखते हैं, जो आम जनता को सामान्य रूप से पता ही नहीं होती। जैसे-जैसे यह पुरानी होती जाती हैं, लोगों में क्रेज बढ़ता ही जाता है।
50 साल का शौक…
बीकानेर निवासी भारत भूषण गुप्ता करीब 50 साल से देशी-विदेशी करेंसी, सिक्के, डाक टिकट, विभिन्न बैंकों के चेक एवं रियासतकालीन कोर्ट स्टाम्प आदि संग्रह कर रहे हैं। गुप्ता संग्रहीत चीजों की किताबों के माध्यम से जानकारी भी जुटाते हैं। ताकि लोगों को सही जानकारी मिल सके। वे कई स्कूलों में निशुल्क प्रदर्शनियों का आयोजन कर चुके हैं। अपनी विरासत से नई पीढ़ी को अवगत भी करवाते हैं। बीकानेर रियासत से संबंधित बहुत सी प्राचीन मुद्रा एवं चेकों का अमूल्य संग्रह इनके पास है।
37 वर्षीय सुधीर को बचपन में ही लगा चस्का
बीकानेर के ही रहने वाले 37 वर्षीय सुधीर लुणावत सिक्के और करेंसी नोट संग्रह के शौकीन हैं। बचपन से ही अलग-अलग तरह के सिक्के और करेंसी नोट संग्रह करने का शौक था। यह शौक जुनून में ऐसा बदला कि आज सिक्कों के संग्रह और उनसे जुड़ी जानकारियों के लिए देश-विदेश में एक अलग पहचान मिली है। वे दावा करते हैं कि उनके पास मानव सभ्यता की शुरुआत से लेकर अब तक शायद ही कोई ऐसा समय या युग हो, जिसकी मुद्रा ना हो।
दुनियाभर की हर खास चीज संग्रह में
देश-विदेश के हजारों सिक्कों और करेंसी नोटों से जुड़ी दुनियाभर की हर खास चीज संग्रह में है। अलग-अलग सभ्यताओं के सिक्के, भारत की लगभग सभी रियासतों के सिक्कों के साथ मुगल साम्राज्य के सिक्के, ब्रिटिश समय के प्रत्येक शासक के सभी तरह के सिक्कों के साथ 76 वर्षों में जारी हुए प्रत्येक वर्ष के क्रमबद्ध सिक्कों का विशाल संग्रह है। इसी शौक के लिए सुधीर को इसरो के पूर्व चेयरमैन एस किरण कुमार की ओर से सिक्कों और ऑटोग्राफ का ग्रैंडमास्टर अवार्ड से भी नवाजा जा चुका है।