बीकानेर

सर्दी की दस्तक के बीच गजक-तिलपट्टी की सोंधी सुगंध से महके बाजार

शहर में सर्दी की दस्तक के साथ ही तिल, गुड और चीनी से बनी खाद्य वस्तुओं की दुकानें सजनी प्रारंभ हो गई है। स्थानीय कारखानों में इनका बड़े स्तर पर निर्माण कार्य चल रहा है। लोगों ने रेवड़ी, गजक, तिलपट्टी, मूंगफली, मूंगफली चिकी, तिल के लड्डू, खजूर इत्यादि की बिक्री प्रारंभ हो गई है। सर्दी के बढ़ने के साथ-साथ तिल व गुड से बनी खाद्य वस्तुओं की मांग बढ़ेगी।

बीकानेरNov 27, 2024 / 10:06 pm

Vimal

बीकानेर. मौसम का पारा गिरने के साथ ही सर्दी के मेवा की दुकानें सजनी शुरू हो गई हैं। तिल, गुड़, मूंगफली और चीनी से बनी खाद्य वस्तुओं की बिक्री प्रारंभ हो गई है। सर्दी बढ़ने के साथ-साथ इनकी मांग बढ़ेगी और बिक्री परवान चढ़ेगी। शहर में सर्दी के मेवा की स्थायी दुकानों के साथ-साथ अस्थायी दुकानों पर बीकानेर सहित प्रदेश और देश के विभिन्न स्थानों पर बनने वाले तिल, गुड और चीनी के उत्पादों की आवक भी बढ़नी शुरू हो गई है। स्थानीय कारखानों में भी तिल, गुड़, देशी घी और चीनी से तैयार होने वाली खाद्य वस्तुओं को बड़े स्तर पर तैयार किया जा रहा है। इनमें गजक, मूंगफली चिकी, तिलपट्टी, तिल के लड्डू, रेवड़ी इत्यादि प्रमुख हैं।
इनकी हो रही बिक्री

सर्दी के मेवा की सजी दुकानों पर मूंगफली, मूंगफली चिकी, तिल की गजक, गुलाब की रेवड़ी, पिस्ता गजक, तिल के लड्डू, तिलपट्टी, रोल गजक, रेवड़ी,शाही गजक, सोहन हलवा, खजूर इत्यादि की बिक्री प्रारंभ हो गई है।
करीब दस फीसदी तक बढ़े भाव

गत वर्ष की तुलना में सर्दी के मेवा के भावों में इस बार कुछ बढ़ोतरी हुई है। सर्दी मेवा उत्पाद व्यवसाय से जुड़े गणेश शर्मा के अनुसार कई उत्पादों में करीब दस फीसदी तक भाव बढ़े हैं। उन्होंने बताया कि प्रति वर्ष करीब पांच से दस फीसदी तक भावों में बढ़ोतरी सामान्य बात है।
इन भावों में बिक रहा

व्यवसायी रवीन्द्र जोशी के अनुसार मूंगफली 100 से 120 रुपए प्रति किग्रा, मूंगफली चिकी 160 से 320 रुपए, तिल की गजक 300 से 480 रुपए, पिस्ता गजक 320 से 480 रुपए, तिलपट्टी 280 से 320 रुपए, रोल गजक 280 से 360 रुपए, शाही गजक 360 से 480 रुपए, खजूर 120 से 500 रुपए तक बिक रहे हैं। जोशी के अनुसार ये भाव औसतन हैं।
बाहर से भी आ रहा

शहर में प्रदेश व देश के कई स्थानों से भी सर्दी का मेवा बिकने के लिए आता है। दुकानदारों के अनुसारअजमेर, ब्यावर, आगरा, धोलपुर, मुरैना आदि स्थानों से भी तिल, गुड़ व चीनी से बने उत्पाद हर साल बिक्री के लिए यहां आते हैं। दुकानदारों के अनुसार दिसंबर व जनवरी में इसकी मांग अधिक रहती है। इस दौरान यहां सर्दी परवान पर रहती है।

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