परिजनों ने बताया कि जवान गौरीशंकर को ड्यूटी के दौरान ब्रेन हैमरेज होने के चलते सेना के अस्पताल में भर्ती कराया गया था। कुछ दिनों पहले उनकी सर्जरी भी हुई थी, लेकिन जवान को बचाया नहीं जा सका। गुरुवार को वायुसेना के अधिकारी जवान की पार्थिव देह को लेकर बीकानेर के पैतृक गांव जोरावरपुरा पहुंचे थे, जहां उनकी अंतिम यात्रा निकाली गई।
परिजनों ने कहा कि गौरीशंकर का महज 18 साल में ही वायुसेना में चयन हो गया था और वे दिल्ली में अपनी सेवाएं दे रहे थे। उनके दो छोटे भाई पढ़ाई कर रहे हैं। गुरुवार को सेना के ट्रक में जवान की अंतिम यात्रा निकाली गई। इस दौरान कई जगह ग्रामीणों ने पुष्पवर्षा की। वहीं युवाओं ने हाथों में तिरंगा लेकर देशभक्ति के नारे लगाए। इसके बाद सैनिक सम्मान के साथ जवान का अंतिम संस्कार किया गया।