हैरानी की बात है कि वनविभाग को दी यह भूमि वर्ष 1994 में गजट नोटिफाइड की जा चुकी है। वन विभाग भूमि का इंतकाल दर्ज करने के लिए तहसील को लगातार पत्र भेज रहा है। फिर भी भूमाफिया सेंध लगाकर भूमि अपने नाम करवाता जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट के 12 दिसम्बर 1996 को पारित निर्णय और वन संरक्षण अधिनियम के तहत वन भूमि को किसी भी सूरत में अन्य प्रयोजनार्थ आवंटित नहीं की जा सकती। यदि कोई कार्मिक या अधिकारी ऐसा करता है तो उसके खिलाफ आपराधिक धाराओं में मामला दर्ज करने तक का प्रावधान है।देश की सुरक्षा से भी खिलवाड़
राजस्थान पत्रिका की पड़ताल में बॉर्डर एरिया में सरकारी भूसम्पदा के फर्जी आवंटन का खेल चल रहा होेना सामने आया है। बॉर्डर एरिया में सुरक्षा के लिहाज से हजारों बीघा भूमि को सरकारी रखा हुआ है। तारबंदी और जीरो लाइन के बीच से लेकर 15 किलोमीटर तक खेत्र में वनविभाग को भूमि दे रखी है। इसका उद्देश्य यहां कोई भी गतिविधि होने पर सरकार की सीधी निगरानी रखने का है। यहां जिप्सम होने और नहरी पानी पहुंचने से यह भूमि बेशकीमती हो गई है। जिसके चलते खनन माफिया और भूमाफिया सक्रिय है। वे कुटरचित दस्तावेज, फर्जी आवंटन पत्र, अतिक्रमण बताकर स्टे लेकर उसकी आड़ में काबिज होने के प्रयास कर रहे है।
यूं समझिए करोड़ों की भूमि का गड़बड़झाला
– राज्य सरकार ने उपनिवेशन विभाग के माध्यम से खाजूवाला क्षेत्र में 1074 हैक्टेयर (4250 बीघा) भूमि वन विभाग को आवंटित की। – गजट नोटिफिकेशन में भूमि उपनिवेशन चक 4 पीडब्लयूएम में लैंड मार्किंग के साथ दर्ज है। इसके बाद राजस्व विभाग को वन विभाग के नाम इंतकाल दर्ज करना था। – चक 4 पीडब्ल्यूएम को राजस्व रिकॉर्ड में चक 4 पीडब्ल्यूएम ए और बी में विभाजित कर दर्ज किया गया। नए चकों में वन विभाग को आवंटित मुरब्बे कहां गए, यह पता नहीं चल रहा।
– वन विभाग तहसील प्रशासन को इंतकाल दर्ज करने के लिए पत्र भेज रहा है। परन्तु कार्रवाई करने की जगह गलत तरीके से आवंटन हो रहे है।
सेटेलाइट इमेज की मदद भी
इसके साथ ही वनविभाग के अधिकारी भी सक्रिय है। इस भूमि से जुड़ा पूरा रिकॉर्ड खंगाला गया है। खाजूवाला मामले में कागजात जुटाने के साथ सेटेलाइट इमेज की मदद से गायब की भूमि का पता लगाने की कोशिश भी की गई है। इसमें चक 3 पीडब्ल्यूूएम ए से थोड़ा आगे लॉकेट हो रही है।यह सवाल उठ रहे प्रक्रिया पर
– वन विभाग के अधिकारी कई सालों से बार-बार तहसील कार्यालय को शेष बची 2950 बीघा भूमि को अमलदारामद करने के लिए पत्र लिख रहे है। लेकिन कोई कार्यवाही नहीं की। – चक 4 पीडब्ल्यूएम को दो चकों में विभाजन से भूमि की सही स्थिति का पता नहीं लग रहा है। इसका फायदा भूमाफिया सरकारी तंत्र में सेंध लगाकर उठा रहे है। अभी भी बची बेशकीमती भूमि के फर्जी आवंटन का खेल चल रहा है।
– वन विभाग की इस भूमि में से कुछ सिंचित और शेष असिंचित है। बारिश होते ही दबंग भूमाफिया अवैध काश्त करने के लिए इसे खेतीहर लोगों को देते है। इस पर राजस्व विभाग कोई कार्रवाई नहीं करता।
जल्द कार्यवाही करेंगे
चक 4 पीडब्ल्यूएम में वनविभाग को 4250 बीघा भूमि आवंटन का 21 फरवरी 1994 को राजस्थान राजपत्र में प्रकाशन हुआ। वर्तमान में पूरा रकबा राजस्व रिकॉर्ड से गायब है। यह जानकारी मिलने पर रेंजर वन बंदोबस्त डॉ. योगेन्द्र सिंह राठौड़ को दस्तावेजों की छानबीन के लिए लगाया है। सम्पूर्ण तथ्यों के साथ जिला कलक्टर के समक्ष अपील की जाएगी। अवैध आवंटन निरस्त करवा कर भूमि वन विभाग के नाम दर्ज कराई जाएगी। -वीरभ्रद मिश्र, डीएफओ छत्तरगढ़ (बीकानेर)
निजी लोगों को गलत आवंटित
चक 4 पीडब्ल्यूएम में कुल 170 मुरब्बे (4250 बीघा) जमीन वन विभाग को आवंटित हैं। वर्तमान में 52 मुरब्बों को निजी खातेदारों के नाम से गलत आवंटित करना पकड़ में आ चुका है। शेष 118 मुरब्बों (2950 बीघा) राजस्व रिकॉर्ड में अराजीराज बोल रही है। वन भूमि पर रोज अतिक्रमण की कोशिश हो रही है। जल्द ही पूरी रिपोर्ट रिकॉर्ड के साथ डीएफओ सौंपी जाएगी। डॉ. योगेन्द्र सिंह राठौड़, रेंजर वन बंदोबस्त छत्तरगढ़