उन्होंने आश्वस्त करते हुए कहा कि जिला बिजनौर में बर्डफलू के सम्बन्ध में चिन्ता करने की अवश्यता नहीं है। पशुपालन विभाग द्वारा अन्य विभागों के सहयोग से सर्वेक्षण का कार्य जारी रहेगा तथा जिला प्रशासन कुक्कुट स्वास्थ्य के प्रति पूरी तरह सजग है तथा विशेष सर्तकता और निगरानी के लिए वन विभाग और पुशपालन विभाग को समन्वय के साथ कार्य करने के निर्देश दिये गए हैं।साथ ही जानकारी देते हुए बताया कि बर्ड फलू जिसे फाउल प्लेग या एवियन इन्फलूएन्जा भी कहते हैं, एक विषाणु जनित संक्रामक रोग सिन्ड्रोम है। यह विषाणु पक्षियों के साथ-साथ मनुष्यों, सूकरों एवं घोड़ों को भी संक्रमित करता है। उन्होंने बताया कि संक्रमित पक्षी से विषाणु बीट व नाक से श्राव से निकलते हैं जिसमें विषाणु मुर्गी वार्डाे में फैलता है। जिसके फलस्वरूप पक्षी संक्रमित हो जाते हैं। उन्होंने बताया कि संक्रमित कुक्कुट बीट व बार्डाे की बिछावन में मानव जनित परिवहन से बीमारी एक फार्म से दूसरे फार्म के कुक्कुट व अन्य पक्षियों में फैल जाती है। बर्ड फलू वायरस हवा व संक्रमित कुक्कुट गृहों के बर्तनों से फैलता है तथा मनुष्यों में यह विषाणु संक्रमित कुक्कुट के सम्पर्क में आने तथा संक्रमित कुक्कुट मांस के खाने से फैलता है।बर्ड फलू के लक्षणों की जानकारी देते हुए बताया कि बर्ड फलू का प्रभाव 5 घंटे से 3 दिन तक रहता है, इसके प्रभाव में दाना कम खाना, एक जगह बैठे रहना, अण्डा उत्पादन बंद हो जाना, सांस लेने में कठिनाई, खांसी, छींक आना, आंख व नाक से लाल रंग का पानी आना, हरे रंग की पतली बीट, सिर व गर्दन में सूजन, कलगी व वैअल नीले पड़ जाना इसके मुख्य लक्षण है।
उन्होंने बताया कि बर्ड फलू से बचाव के लिये बताया कि कुक्कुट शाखाओं के चारों तरफ चूने का छिड़काव व प्रवेश द्वारों पर चूना का पैक रखें। इसके अलावा फिनायल या फार्मालीन का भी प्रयोग भी किया जा सकता है। फार्म में काम करने वाले व्यक्ति उबले पानी से धुले कपडे पहनें व मुँह पर मास्क व हाथों में रबर के दस्ताने पहनें। इस अवसर पर डीएफओ बिजनौर एम0 समारन, जिला मुख्य पशुचित्साधिकारी, जिला पंचायत राज अधिकारी, अधिशासी अभियन्ता लोनिवि आदि विभागीय अधिकारियों के अलावा जिले के कुक्कुट पालक भी मौजूद रहे।